मुंबई। मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले ने मंदिरों और भगवान की चांदी कर दी है। 8 नवंबर को 500 और 1000 के पुराने नोटों के बंद होने के बाद देश के जाने-माने मंदिरों और दरगाहों में पुराने नोटों का चढ़ावा बढ़ गया है। मुंबई के प्रसिद्ध श्री सिद्धिविनायक मंदिर में 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा के बाद से मंदिर को मिलने वाला दान करीब 50 प्रतिशत दोगुना हो गया है।
8 नवंबर के बाद दानपेटी में आया दोगुना दान
श्री सिद्धि विनायक ट्रस्ट के चेयरमैन नरेंद्र राणे के अनुसार 8 नवंबर के बाद मंदिर की दानपेटी में दान बढ़ गया है। नरेंद्र राणे ने बताया कि इस बार दानपेटी से 60 लाख रुपये मिले हैं। हमें लगता है कि 500 और 1000 के नोटों के बंद होने की वजह दान बढ़ा है। राणे के अनुसार सिद्धिविनायक मंदिर में औसतन एक हफ्ते में 35-40 लाख रुपये दान मिलता था। मंदिर की दानपेटी हफ्ते में एक बार खोली जाती है और दान राखि को गिना जाता है।
16 नवंबर को सिद्धिविनायक के दान को गिना गया
बुधवार (16 नवंबर) सुबह नौ बजे से शाम छह बजे तक दान के पैसे गिने गए। 7 नवंबर से 15 नवंबर तक मिले दान में 500 के 3500 पुराने नोट और 1000 के 1100 पुराने नोट मिले हैं। यानी मंदिर के बीते हफ्ते 500-1000 के नोटों के रूप में 27.50 लाख रुपये दान के तौर पर मिले हैं। मंदिर को 2000 के 90 नोट भी दान के तौर पर मिले हैं। सरकार ने नोटबंदी के बाद 10 नवंबर से बैंकों के माध्यम से 2000 के नए नोट देने शुरू किया है। बुधवार को सरकार ने आदेश जारी किया कि सभी धार्मिक स्थानों को प्रतिदिन दानराशि गिननी होगी और पुराने नोटों को बैंक में जमा कराना होगा। राणे ने कहा कि गुरुवार से हम दानपेटी में आया दान रोज गिनेंगे।