सावन के तीसरे सोमवार यानी आज नाग पंचमी का त्योहार देश में मनाया जा रहा है। पूरे 125 वर्ष बाद ऐसा संयोग लग रहा हैए जब सोमवार के दिन ही नागपंचमी है। इसलिए इस पर्व का फल दोगुना मिलेगा। यह त्योहार खास तौर पर उत्तर मध्य भारत के कई हिस्सों में मनाया जाता है। इस दिन सर्प देवता की पूजा की जाती है। श्रावण मास शुक्ल पक्ष की पंचम तिथि को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है जोकि आज है। इस दिन कई जगह कजली बोने की परंपरा होती है तो कई जगह दंगल भी होता है। कई जगहों पर नाग पंचमी के पर्व को गुड़िया के तौर पर मनाया जाता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नाग पंचमी पर भगवान शिव के अलावा शेषनाग, वासुकि नाग, कर्कोटक नाग जैसे कई ऐसे सर्पों की पूजा होती है जो नागों के राजा माने जाते हैं। कहा जाता है इस दिन नागों की पूजा करने से कई तरह के संकट टल जाते हैं।
पुराणों के अनुसार, इस समय पृथ्वी का भार शेषनाग ने अपने सिर पर उठाया है। इसलिए उनकी पूजा अवश्य की जानी चाहिए। यह दिन गरुड़ पंचमी के नाम से भी प्रसिद्ध है। नाग देवता के साथ इस दिन गरुड़ की भी पूजा की जाती है। नाग पंचमी पर नागों की पूजा करने से दैहिक दैविक और भौतिक पापों मुक्ति मिलती हैए जिनकी जन्मपत्री में कालसर्प दोष है, उसका निवारण करने के लिए यह समय अति उत्तम है। यह दोष भाग्य में अवरोधक बन जाता है। इसके निवारण के लिए नागों के साथ भगवान भोलेनाथ का परिवार सहित पूजन किया जाता है। दूध से रुद्राभिषेक करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। गन्ने के रस से अभिषेक करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। घी से अभिषेक करने से रोग दूर होते हैं। दही से अभिषेक करने से पशु स्वस्थ रहते हैं। कालसर्प दोष शांति से मुक्ति के लिए कालसर्प दोष का निवारण करना चाहिए।





