
राजधानी देहरादून में ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है और दून पुलिस के नए-नए प्रयोग पूरी तरह से फेल नजर आ रहे है। सोशल मीडिया में अपनी पीठ थपथपाने के बाद दून पुलिस को ऐसा लगता है कि उसने कदू में तीर मार दिया हो, लेकिन पंजाब के इनामी बदमाश कई महीनो तक देहरादून की पॉस कालोनी में छुपे रहे और यंहा की पुलिस को हवा तक नहीं। वो तो गनीमत है कि पंजाब पुलिस ने दबिश देकर दो लाख का इनामी समेत चार बदमाशों को धर-दबोचा,जिससे बड़ी वारदाते टल गए, तब जाकर दून पुलिस को इस बात जानकारी मिली।
कई-कई घंटो जाम की वजह से जनता परेशान है, तो वंही पुलिस के आला अधिकारी ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने के नाम पर मीटिंगों में मस्त है। राजधानी समेत पुरे प्रदेश की ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार लाने के लिए अलग से ट्रैफिक निर्देशालय का गठन हुआ, भले ही ट्रैफिक मास्टर केवल खुराना उत्तराखंड में अपना जलवा दिखाने में कामयाब रहे हो, लेकिन कारण कुछ भी रहे हो, अब ट्रैफिक मास्टर यातायात सुधार मामले में पूरी तरह से फेल नजर आ रहे है।
सवाल यह भी उठता है कि आमजन की परेशानी पर PHQ क्यों खामोश है, लोगो का कहना है कि क्या PHQ में बैठे पुलिस के आला-अधिकारीयों को भी जनता की परेशानी नहीं दिख रही है। शहर की जनता कबतक तुगलकी फरमानों का बोझ उठाएगी। बड़ा सवाल यह उठता है कि कंही ऐसा तो नहीं की ट्रैफिक निदेशालय और जिला पुलिस में ट्रैफिक प्लान को लेकर आपसी खींचतान चल रही हो, सूत्रों की माने तो ट्रैफिक मुख्यालय में प्रयाप्त संसाधन न होना और ट्रैफिक निर्देशालय एवं दून पुलिस समन्वय की कमी की वजह से दून में ट्रैफिक व्यवस्था धवस्त हो रही है।