पिथौरागढ़- नंदा देवी पर्वत पर पर्वतारोहण के दौरान एवलांच की चपेट में आकर जान गंवाने वाले सात पर्वतारोहियों में से चार पर्वतारोहियों के शवों को पिथौरागढ़ लाया गया है। वहीं अन्य तीन पर्वतारोहियों के शवों को अभी मुनस्यारी में रखा गया है। शवों को एमआई-17 हेलीकॉप्टर से लाया गया है। पंचनामा भरने के बाद शवों को हल्द्वानी जिला अस्पताल में रखा जाएगा। उसके बाद सभी पर्वतारोहियों के शवों को दिल्ली भेजा जाएगा। हालांकि अभी किसी भी पर्वतारोही की शिनाख्त नहीं हो पाई है।
बता दें कि 13 मई को मुनस्यारी से नंदादेवी ईस्ट के लिए गए ब्रिटेन निवासी मार्टिन मोरिन, जोन चार्लिस मैकलर्न, रिचर्ड प्याने, रूपर्ट वेवैल, अमेरिका के एंथोनी सुडेकम, रोनाल्ड बीमेल, आस्ट्रेलिया की महिला पर्वतारोही रूथ मैकन्स और इंडियन माउंटेनियरिंग फेडरेशन के जनसंपर्क अधिकारी चेतन पांडेय पर्वतारोहण के दौरान एवलांच की चपेट में आने से लापता हो गए थे। आईटीबीपी के द्वितीय कमान अधिकारी और एवरेस्ट विजेता रतन सिंह सोनाल के नेतृत्व में गई 18 सदस्यीय हिमवीरों की टीम ने 23 जून को सात पर्वतारोहियों के शवों को निकालकर 17800 फीट की ऊंचाई पर अस्थाई कैंप में रखा था। बता दें कि सात पर्वतारोहियों के शवों को आईटीबीपी के जवानों ने मंगलवार को 17800 फीट की ऊंचाई पर स्थित बेस कैंप-दो में पहुंचा दिया था। देर शाम तक शवों को बेस कैंप वन की ओर लाने की कार्रवाई जारी थी। मौसम ठीक होने पर बुधवार की सुबह सभी शवों को हेलीकाप्टर से पिथौरागढ़ लाया गया। भारत तिब्बत सीमा पुलिस के 18 हिमवीरों की टीम सात पर्वतारोहियों के शवों को निकालने के काम में जुटी थी। हिमवीरों ने चार पर्वतारोहियों के शवों को सोमवार को 18900 फीट की ऊंचाई तक पहुंचाया था। मंगलवार की सुबह पहले तीन शवों को तीन किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई तय करके लाया गया। इसके बाद सातों शवों को 17800 फीट ऊंचाई पर स्थित बेस कैंप- दो तक पहुंचाया गया। इसके बाद वहां से शवों को 16500 फीट की ऊंचाई पर स्थित बेस कैंप की ओर लाया गया।