मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल और विदिशा के बीच सलामतपुर की पहाड़ी पर है बोधि वृक्ष. जिसकी 24 घंटे चार गार्ड निगरानी करते हैं. इसके लिए खास तौर पर पानी के टैंकर का इंतजाम है . 21 सितंबर, 2012 को श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंद्रा राजपक्षे ने रोपा था इस बोधि वृक्ष .
सौ एकड़ की पहाड़ी पर लोहे की 15 फीट ऊंची जाली के अंदर लहलहाता है यह वीवीआईपी बोधि वृक्ष. 24 घंटे इसकी सुरक्षा-देखभाल के लिए परमेश्वर तिवारी सहित चार होमगार्डों की तैनाती रहती है. सिंचाई के लिए यहां सांची नगरपालिका ने अलग से पानी के टैंकर का इंतजाम किया है. पेड़ को बीमारी से बचाने के लिए कृषि विभाग के अधिकारी हर हफ्ते दौरा करते हैं. यह सब होता है जिला कलेक्टर की निगरानी में.
पेड़ के रखरखाव में हर साल लगभग 12-15 लाख रुपये खर्च होते हैं, उस राज्य में जहां थोड़े से कर्ज के लिए 51 किसान खुदकुशी कर चुके हैं. यह और बात है कि जिस विश्वविद्यालय के नाम पर बोधि वृक्ष को रोपा गया, पांच साल बाद उसकी बाउंड्री तक टूट गई है. यूनिवर्सिटी को लगभग 20 लाख का किराया देकर निजी भवन में चलाया जा रहा है.
बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए इसका खास महत्व है. बौद्ध धर्मगुरू चंद्ररतन ने कहा तथागत बुद्ध ने बोध गया में इसी पेड़ के नीचे ज्ञान प्राप्त किया था. भारत से सम्राट अशोक इसी पेड़ की शाखा श्रीलंका ले गए थे. उसे अनुराधापुरम में लगाया था, उसी को सांची बौद्ध विश्वविद्यालय की जमीन पर लगाया गया.
इस पेड़ का एक पत्ता भी सूखे तो प्रशासन चौकन्ना हो जाता है. पेड़ तक पहुंचने के लिए भोपाल-विदिशा हाईवे से पहाड़ी तक पक्की सड़क भी बनाई गई है.