
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा रखी है और पुलिस के नए-नए प्रयोग पूरी तरह से फेल नजर आ रहे है। कई-कई घंटो जाम की वजह से जनता परेशान है, तो वंही पुलिस के आला अधिकारी ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने के नाम पर मीटिंगों में मस्त है। राजधानी समेत पुरे प्रदेश की ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार लाने के लिए अलग से ट्रैफिक निर्देशालय का गठन हुआ, बावजूद इसके राजधानी में ट्रैफिक व्यवस्था में कोई सुधार नहीं नजर आ रहा है।
शहर के प्रमुख सडको की बात करे, तो घंटाघर से लेकर दिलाराम चौक तक घंटो जाम की वजह से गाड़ियों के पहिये थम से नजर आते है। गांधी रोड की बात की जाए तो तहसील चौक, प्रिंस चौक से लेकर सहारनपुर चौक पर लोग घंटो जाम में फंसे रहते है। इसके आलावा रिंग रोड, हरिद्वार बाईपास रोड, चकराता रोड पर भी जाम की स्थिति बनी रहती है। जिससे लोगो को रोजाना खासी परेशानी उठानी पड़ती है, इसके बावजूद सडकों पर पुलिस भी नजर आती है। हाँ पुलिस की सिटी पेट्रोल यूनिट { सीपीयू } जरूर नजर आती है वो भी ट्रैफिक व्यवस्था सभालते नहीं, बल्कि लोगो के चालान काटती नजर आती है।
दून शहर की ट्रैफिक व्यवस्था दिन पर दिन बेकाबू होती नजर आ रही है। पुलिस ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार लाने के सडकों को वन-वे कर नए-नए प्रयोग कर जरूर करती है लेकिन पुलिस के ये प्रयोग फेल हो जाते है। धवस्त होती ट्रैफिक व्यवस्था से परेशान लोग तो यंहा तक कहने लगे है कि पुलिस छोटी-मोटी क्राइम की घटना का खुलासा कर सोशल मिडिया में डालकर वाह-वाही लूटने की कोशिश करती है। लेकिन राजधानी देहरादून में धवस्त हो चुकी ट्रैफिक व्यवस्था और क्राइम कंट्रोल करने में पुलिस नाकाम साबित हो रही है।