दुर्गा की मूर्ति में वेश्यालय की मिट्टी प्रयोग की जाती है, बड़ा सच!

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देहरादून;    भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है जहां विभिन्न धर्मों के लोग बिना किसी रोक टोक के बड़ी धूमधाम के साथ अपने-अपने त्यौहार मनाते हैं, यहां हर धर्म का सम्मान किया जाता है और हर धर्म के अनुयायियों को अपनी मान्यताओं के अनुसार जीवन यापन करने का भी अधिकार है।

विभिन्न रीति-रिवाजहमारे देश में कुछ ऐसी मान्यताएं हैं जिन्हें सिर्फ अपनाया तो जाता है लेकिन उनके पीछे का कारण जानने की कोशिश नहीं की जाती। कम से कम आधुनिक युग में तो ऐसा बिल्कुल नहीं होता कि कोई उन मान्यताओं के पीछे छिपे कारण का पता लगाने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करता।दुर्गा पूजा का महत्तवउत्तर और पूर्व भारत में नवरात्रि नौ दिनों का त्यौहार होता है जबकि पश्चिम बंगाल में नवरात्रि के नौवे दिन दुर्गा पूजा की जाती है और यही उनका सबसे बड़ा पर्व होता है। दुर्गा पूजा के दौरान देवी मां की मूर्ति बनाई जाती है, जिसके लिए मिट्टी वेश्यालय से लाई जाती है।जिस्म का सौदाजिस समाज में जिस्म का सौदा कर धन कमाने वाली स्त्रियों को निकृष्ट माना जाता है, उसी समाज में दुर्गा पूजा जैसे धार्मिक कार्यक्रम में उस जगह की मिट्टी लाना!! आखिर इस परंपरा का पालन क्यों किया जाता है?एक बड़ा सवाल है। वेश्यावृत्तियूं तो भारत में महिलाओं को हमेशा दोयम दर्जे का प्राणी माना जाता है, कन्या को जन्म लेने से पहले ही मार दिया जाता है, लेकिन नवरात्रि के दिनों में उन्हें देवी स्वरूपा माना जाता है।

जाहिर तौर पर ये दिखावटी रवैया ही है, लेकिन इससे बड़ा उदाहरण तो यही है कि वेश्यावृत्ति करने वाली स्त्रियों के स्थान से मां की मूर्ति के लिए मिट्टी लाई जाती है। 4 मूर्ति कब पूर्ण मानी जाती है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार दुर्गा पूजा के लिए मां की जो मूर्ति बनती है उसके लिए 4 चीजें बहुत जरूरी होती है। पहली गंगा तट की मिट्टी, गौमूत्र, गोबर और वेश्यालय की मिट्टी या किसी ऐसे स्थान की मिट्टी जहां जाना निषेध हो। इन सभी को मिलाकर बनाई गई मूर्ति ही पूर्ण मानी जाती है। ये रिवाज हमारे समाज में दशकों से चला आ रही है।पुजारी जाता है वेश्यालय के द्वारमाना जाता है कि मंदिर का पुजारी वेश्यालय के बाहर जाकर वेश्याओं से अपने आंगन की मिट्टी मांगता है। जब तक वह मिट्टी उसे मिल नहीं जाती, वह वापस नहीं लौटता। अगर वेश्या मिट्टी देने से मना भी कर देती है तो भी वह उनसे मांगता रहता है।

वो कौन से चार कारण है जिसके चलते मूर्ति के लिए वेश्यालय की मिट्टी का प्रयोग किया जाता है पड़कर आप भी दंग रह जायेंगे। 
–जब कोई व्यक्ति वेश्यालय में जाता है तो वह अपनी पवित्रता द्वार पर ही छोड़ जाता है। भीतर प्रवेश करने से पहले उसके अच्छे कर्म और शुद्धियां बाहर रह जाती है, इसका अर्थ यह हुआ कि वेश्यालय के आंगन की मिट्टी सबसे पवित्र हुई, इसलिए उसका प्रयोग दुर्गा मूर्ति के लिए किया जाता है।

— दुर्गा को महिषासुरमर्दिनी भी कहा जाता है, महिषासुर ने देवी दुर्गा के सम्मान के साथ खिलवाड़ किया था, उसने उनकी गरिमा को ठेस पहुंचाई थी, उसके अभद्र व्यवहार के कारण ही मां दुर्गा को क्रोध आया और आखिरकार उन्होंने उसका वध कर दिया। इस कारण से वेश्यावृति करने वाली स्त्रियों, जिन्हें समाज में सबसे निकृष्ट दर्जा दिया गया है, के घर की मिट्टी को पवित्र माना जाता है और उसका उपयोग मूर्ति के लिए किया जाता है।
— वेश्याओं ने अपने लिए जो जिन्दगी चुनी है वो उनका सबसे बड़ा अपराध है। वेश्याओं को इन बुरे कर्मों से मुक्ति दिलवाने के लिए उनके घर की मिट्टी का उपयोग होता है, मंत्रजाप के जरिए उनके कर्मों को शुद्ध करने का प्रयास किया जाता है।
— वेश्याओं को सामाजिक रूप से काट दिया जाता है, लेकिन इस त्यौहार के सबसे मुख्य काम में उनकी ये बड़ी भूमिका उन्हें मुख्य धारा में शामिल करने का एक जरिया है।

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