देहरादून। उत्तराखंड की नदियां बजरी पत्थर के कारोबारियों के लिए सोने की मुर्गी साबित हो रही है। नदियों में पानी कम होते ही बजरी, पत्थर, रेत के कारोबारी सक्रिय हो जाते हैं और देर रात से सुबह तक नदियों का सीना छलनी किया जाता है। इन खनन माफियाओं पर न तो प्रशासन कार्यवाही करता है और न ही पुलिस प्रशासन, जिसके कारण इनकी पौबारह हो रही है।
एमडीडीए कालोनी डालनवाला के समीप स्थित नाला जो रिस्पना में आकर मिलता है उसमें रात को रोज खुदाई होती है। रात होते ही माफिया अपने कारोबार को अंजाम देने लगते हैं। ठीक यही स्थिति थाना कैंट के सक्रिट हाऊस चौकी से 500 मीटर दूर स्थित बीरपुर नदी का हो रहा है जहां लगातार रात को माल निकाला जा रहा है। खनन माफियाओं पर पुलिस की निष्क्रियता इस बात का संकेत है कि कहीं न कहीं पुलिस से इनकी मिली भगत है। ठीक यही स्थिति डोईवाला सौंग नदी में पुल के नीचे की है, जहां दिनदहाड़े अवैध खनन किया जा रहा है। कुछ ऐसा ही हाल माजरीग्रांट, जीवनवाला, फतेहपुर सौंग व थाना कैन्ट जाखन नदी में भी है। लेकिन शासन-प्रशासन व पुलिस अधिकारी इस मामले में आंख मूंदे बैठे हुए हैं। अभी कुछ दिन पूर्व ही प्रदेश के मुख्य सचिव ने चेतावनी दी थी कि जिसके भी क्षेत्र में खनन की शिकायत मिलती है उस क्षेत्र का उच्च अधिकारी व थाना प्रभारी जवाबदेही होगी पर उनके आदेशों को भी पलीता लगाने का काम किया जा रहा है।
खनन माफिया मजदूरों के माध्यम से नदियों में सुबह से लेकर शाम तक यह खनन सामग्री इकट्ठा कर लेते हैं। उसके बाद रात के अंधेरे में यह माल ऊंचे दामों पर ट्रैक्टर-ट्रॉली के माध्यम से बेच दिया जाता है।बताते चले कि ’देहरादून व प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में धड़ल्ले से चल रहे अवैध खनन पर अंकुश लगाने के लिए प्रमुख सचिव गृह एवं खनन ने 8 अक्टूबर कड़ा रुख अख्तियार किया था। उन्होंने इस बाबत चार जिलों के डीएम को पत्र भी भेजा गया था। जिसमें साफ कहा गया था कि अवैध खनन पर संबंधित क्षेत्र का प्रभारी व्यक्तिगत रूप में जिम्मेदार माना जाएगा। इसमें किसी प्रकार की ढील बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ।’
मानसून समाप्त होने के बाद प्रदेश के हरिद्वार, देहरादून, नैनीताल व ऊधमसिंहनगर जिले में खनन व चुगान शुरू हो गया है। लेकिन, यहां पहले से ही लगातार अवैध खनन की शिकायतें मिलती रही हैं। ऐसे में शासन इस बार अवैध खनन पर सख्ती से निपटने की बजाए मुंह मूंदे में बैठा है। जब दून के कुछ पत्रकार वीरपुर क्षेत्र मे हो रहे अवैध खनन की कवरेज को गए तो उन्हे भी खुलेआम धमकाया गया। वहीं 700 मीटर दूरी पर सीएम आवास व राजभवन भी है उसके बावजूद भी खनन माफियाओं के हौसले बुलंद है।





