यें तस्वीर उन सपा और बसपा का गठबंधन हुआ था। मौजूदा एक्जिट पोल के आंकड़ों ने एक बार फिर इतिहास के पन्नों याद दिला दी है। इसके साथ ही सीएम अखिलेश यादव का बयान सपा की तरफ से बसपा के लिए दरवाजें खोलता दिख रहा है।
यूपी में विधानसभा चुनाव पर किए गए सर्वे में एक्जिट पोल बीजेपी को नंबर वन पार्टी मान रहें हैं। सभी राजनेता अपनी पार्टी का सत्ता में आने की बात कर रहे है। पर इन सबके बीच यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने एक बड़ा बयान दे दिया है। अखिलेश ने संकेत देते हुए कहा है कि अगर जरूरत पड़ी तो गठबंधन कर सकते है।
अखिलेश यादव ने बीबीसी को दिए एक बयान में कहा, ‘’गठबंधन के लिए मैं अभी इसलिए नहीं कह सकता हूं कि हम खुद सरकार बनाने जा रहे हैं. मैंने हमेशा मायावती को एक रिश्ते के तौर पर संबोधित किया है तो लोगों को लग सकता है कि कहीं हम बीएसपी से गठबंधन न कर लें. ये बात कहना अभी कहना मुश्किल है लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि हमारा बहुमत आने वाला है और हम सरकार बनाने वाले हैं. हां अगर सरकार के लिए ज़रूरत पड़ेगी तो देखिए, कोई नहीं चाहेगा कि राष्ट्रपति शासन हो बीजेपी रिमोट कंट्रोल से उत्तर प्रदेश को चलाएं. इससे बेहतर होगा कि एसपी और बीएसपी साथ मिलकर सरकार बनाएं.’’
हालांकि मायावती का इतिहास यह बताता है कि वह समर्थन देने में बहुत उदार नहीं रही हैं और उनकी शर्तें सपा और बीजेपी के लिए कठिन चुनौती साबित होगी.
मुलायम और कांशीराम की दोस्ती
अखिलेश के संकेत एक बार फिर करीब चौथाई सदी पहले बनी दो दलों की दोस्ती की याद ताजा करती है. उल्लेखनीय है कि मुलायम सिंह यादव ने 1992 में समाजवादी पार्टी का गठन किया था और उसके एक साल बाद हुए चुनाव से पहले बसपा के साथ रणनीतिक गठबंधन किया था. उस वक्त बसपा की कमान कांशीराम के पास थी. उस समझौते के तहत सपा और बसपा ने क्रमश: 256 और 164 सीटों पर चुनाव लड़ा था. नतीजतन दोनों दलों को क्रमश: 109 और 67 सीटें मिली थीं. लेकिन यह दोस्ती बहुत लंबे समय तक नहीं चली और मई,1995 में बसपा ने मुलायम सिंह की सरकार से अपना समर्थन खींच लिया.