तो क्या अब नही रहेगा “बीएसएनएल”…!!!!!

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भारतीय संचार निगम लिमिटेड यानी बीएसएनएल की दूरसंचार व्यवस्था भगवान के भरोसे ही है। समय समय पर उपभोक्ताओं द्वारा बीएसएनएन की सेवाओं के लिए शिकायते भी की जाती है। पर इन शिकायतों का परिणाम शून्य ही होता है। बीएसएनएल की ऐसी अव्यवस्थाओं को देखकर बीएसएनएल के लिए कुछ नई नीतिया लागू करने की योजना है। इन नीतियों के विरोध में देशभर में बीएसएनएल कर्मचारी एकदिवसीय हड़ताल पर है। संभवत: आज बीएसएनएल से संबधित आपके काम आज बाधित रहेगें। यह हड़ताल बीएसएनएल में टॉवर कंपनी बनाकर इसे विभिन्न कंपनियों में विभाजित कर बीएसएनएल को खत्म करने की सरकार की कोशिशों के विरोध में की जा रही है।

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बता दे कि हाल ही में संचार मंत्रालय द्वारा सरकार को बीएसएनएल में टॉवर व्यवसाय संचालित करने के लिए बीएसएनएल में अलग से सब्सिडियरी टॉवर कंपनी बनाने का नोट भेजा है। यदि कैबिनेट इसे स्वीकृति दे देती है तो बीएसएनएल के 65 हजार टॉवर का नियंत्रण इसी कंपनी के अधीन हो जाएगा। बीएसएनएल की ट्रेड यूनियन्स एवं एसोसिएशन सरकार के इसी प्रयास का विरोध कर रही है।

 

बीएसएनएल कर्मचारी देशभर में इस योजना के विरोध में है। हलाकिं बीएसएनएल की दूरसंचार सेवा के हाल किसी से छुपे नही है। कयास लगाए जा रहे है कि दूरसंचार सेवाओं की भलि प्रकार से पहुंचानें पर बीएसएनएल पूरी तरह कामयाब नही रहा है। मीडिया में तो इस बात की चर्चा है कि घाटे के चलते बीएसएनएल को दूसरी प्राइवेट कंपनियों के साथ साझेदारी के साथ चलाने की नीतियां भी बनायी जा रही है।

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बीएसएनएल अधिकारियों ने बताया कि बीएसएनएल के 65000 हजार टॉवर्स बीएसएनएल की जीवन रेखा है और इन्हें छिनने की सरकार की कोशिश के खिलाफ सभी कर्मचारी, अधिकारी लामबंद हो चुके हैं। बीएसएनएल के अस्तित्व को बचाने के लिए देशभर में बीएसएनएल के सभी कर्मचारी, अधिकारी हड़ताल करते रहेंगे। उत्तरप्रदेश उत्तराखंड में हड़ताल काफी जोरो शोर से की गई। इस दौरान बीएसएनएल कर्मचारियों ने नई नीतियों के खिलाफ नारे लगाए।

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