तो किसानों की कर्जमाफी चुनावी जुमला था!

2017 में विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखंड का चुनावी घोषणा पत्र जारी किया था भाजपा ने इस घोषणा पत्र को दृष्टि पत्र के रूप में अपने आगामी एक्शन प्लान के रूप में जनता के समक्ष रखा था दृष्टि पत्र में जनता से कई वादों के साथ साथ किसानों से उनके कर्ज माफी का वादा भी किया गया था चुनाव के बाद जिस तरह से जनता ने भारतीय जनता पार्टी की झोली में वह ऐतिहासिक आंकड़ा डाला जिसकी कल्पना शायद खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी नहीं कर रहे होंगे उसका बड़ा कारण जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान को सर आंखों पर लेकर वोट किया.  जिसमें उन्होंने कहा था यह राज्य अटल जी ने बनाया था हम इसे संवारेंगे विधानसभा चुनाव के बाद सरकार के कार्यकाल को 6 महीने से ऊपर का वक्त गुजर गया है लेकिन कई मायनों में सरकार जनता के बीच वह पैठ नहीं बना पा रही है जिसका भरोसा जनता ने भाजपा सरकार से किया था खासकर किसानों को लेकर सरकार की काफी किरकिरी हो चुकी है.  ऐसे में मुख्यमंत्री के बयान के बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का यह कहना कि घोषणा पत्र बनाते वक्त उन्हें राज्य की आर्थिक स्थिति का अंदाजा नहीं था अजय भट्ट का बयान उस वक्त आया जिस वक्त मुख्यमंत्री के बयान के बाद रुड़की में किसानों का उग्र आंदोलन हुआ है ऐसे में अजय भट्ट का बयान आग में घी डालने का काम कर रहा है साथ ही यह भी सवाल खड़ा कर रहा है कि विपक्ष जिस तरह से भाजपा की सरकार को चाहे वह केंद्र में हो या राज्य में जुमलों की सरकार कह रहे हैं क्या वह अजय भट्ट के बयान के बाद सही है.

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