तीन तलाक बिल पेश होते ही सदन में हंगामा, ओवैसी-थरूर और रविशंकर भिड़े, ओवैसी बोले, सरकार को मुस्लिम महिलाओं से ‘हमदर्दी’ हिंदूओं से नहीं…..

लोकसभा में शुक्रवार को तीसरी बार तीन तलाक विधेयक पेश किया गया। केंद्रीय कानून एवं विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से विधेयक को संसद में पेश करने की अनुमति मांगी। विपक्ष के भारी हंगामे के बीच कानून मंत्री ने विधेयक पेश किया। विपक्ष के विरोध के बीच यह विधेयक 74 के मुकाबले 186 मतों के समर्थन से पेश किया गया। कानून मंत्री ने सदन में विधेयक पेश करते हुए कहा कि विधेयक पिछली लोकसभा में पारित हो चुका है लेकिन सोलहवीं लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने के कारण और राज्यसभा में लंबित रहने के कारण यह निष्प्रभावी हो गया और सरकार इसे दोबारा इस सदन में लेकर आई है।

विधेयक को पेश करते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इस विधेयक से मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा होगी। हमने पिछली सरकार के दौरान विधेयक को लोकसभा से पारित करवा लिया था लेकिन राज्यसभा में यह लंबित रह गया था। हम कानूनी प्रक्रियाओं के अनुसार एक बार फिर विधेयक लेकर आए हैं। जनता ने हमें कानून बनाने के लिए चुना है और कानून पर बहस अदालत में होती है। कृपया लोकसभा को अदालत ने बनाएं। उन्होंने कहा, यह सवाल न सियासत का है। न इबादत का है। न पूजा का है। न धर्म का है। न प्रार्थना का है। यह सवाल नारी के न्याय का है। नारी न्याय, नारी गरिमा, नारी इंसाफ का है और आज हमें अपने अंदर से यह सवाल पूछना पड़ेगा कि आजादी के 70 साल बाद जब भारत का संविधान है, तो क्या मतलब है कि खबातीन कोई हो, बहन कोई हो… कहा तलाक, तलाक, तलाक… तुम घर से बाहर, तुम्हारी कोई गुजारिश नहीं।

मीडिया से बात करते हुए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, यह बहुत तकलीफ की बात है कि कांग्रेस ने तीन तलाक विधेयक का विरोध किया है। इससे पहले उन्होंने इसका विरोध नहीं किया था। पिछली बार वह लोकसभा से निकल गए थे, लेकिन आज वह ओवैसी की तरफ खड़े हैं जो इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी की नेता सोनिया गांधी जी हैं इसके बावजूद लोकसभा में पार्टी महिला विरोधी रवैया अपना रही है।

तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने तीन तलाक विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि किसी एक समुदाय को लक्षित करने की बजाए ऐसा कानून बनाया जाना चाहिए जिससे कि ऐसा करने वाले सभी लोग इसके दायरे में आ सकें। केवल एक समुदाय को ध्यान में रखते हुए विधेयक क्यों लाया गया है। इस विधेयक से मुस्लिम महिलाओं की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आएगा और न ही उनके हितों की रक्षा होगी। मैं इस विधेयक का समर्थन नहीं करता हूं। इस विधेयक को केवल लोगों को परेशान करने के लिए लाया गया है।

वही एआईएमआईएम के मुखिया और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यदि किसी गैर-मुस्लिम को केस में डाला जाए तो उसे केवल एक साल की सजा और मुस्लिम को तीन साल की सजा। यह संविधान के लेख 14 और 15 का उल्लंघन है। इस विधेयक से केवल मुस्लिम पुरुषों को सजा मिलेगी। सरकार को केवल मुस्लिम महिलाओं से हमदर्दी क्यों है। सरकार केरल की हिंदू महिलाओं की चिंता क्यों नहीं करती है। सबरीमाला को लेकर आपका क्या रुख है? आप क्यों सबरीमाला के फैसले के खिलाफ हैं? यह गलत हो रहा है। उच्चतम न्यायालय ने तीन तलाक को असंवैधानिक ठहराया है। इस विधेयक के बाद जिन पतियों को सजा मिलेगा क्या सरकार उन महिलाओं का खर्च देने के लिए तैयार है। यह विधेयक महिलाओं के हित में नहीं है।

 

 

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