लोकसभा में बुधवार यानी आज से गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स, यानी जीएसटी से जुड़े चार विधेयकों पर बहस की जानी है, और देश में बहुत-से राज्यीय तथा केंद्रीय करों के बदले लागू होने वाले केंद्रीकृत कर जीएसटी को 1 जुलाई से लागू करने का रास्ता साफ हो सके.

ये चार विधेयक –केन्द्रीय वस्तु एवं सेवाकर विधेयक 2017, एकीकृत वस्तु एवं सेवाकर विधेयक 2017, संघ शासित प्रदेश वस्तु एवं सेवाकर विधेयक 2017 और वस्तु एवं सेवाकर (राज्यों को मुआवजा) विधेयक 2017 हैं.

रोचक तथ्य

सरकार ने लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन से अनुरोध किया है कि बुधवार को शून्यकाल को खत्म कर दिया जाए, ताकि प्रश्नकाल के तुरंत बाद 12 बजे बहस शुरू करवाई जा सके. बहस के बाद इन बिलों में शामिल 250 क्लॉज़ (धाराओं) को एक-एक कर वोटिंग के लिए रखा जाएगा.

यदि सरकार जीएसटी को लागू करने के लिए 1 जुलाई की डेडलाइन को हासिल करना चाहती है, तो सरकार को सुनिश्चित करना होगा कि बिलों को पारित करने की सारी प्रक्रिया 12 अप्रैल से पहले पूरी हो जाए, क्योंकि इसी दिन संसद का बजट सत्र समाप्त हो जाएगा. इससे पहले 1july की डेडलाइन पर जीएसटी को लागू करना संभव नहीं हो पाया था.

जीएसटी के तहत चार – 5, 12, 18 व 28 प्रतिशत – टैक्स स्लैब होंगी, तथा इसके अलावा पहले पांच साल तक कारों, शीतय पेयों तथा तंबाकू उत्पादों जैसी सामग्रियों पर कुछ अन्य कर भी लगाए जाएंगे, ताकि राज्यों के नुकसान की भरपाई की जा सके. मुआवज़ा कानून इस लिहाज़ से तैयार किया गया है, ताकि जीएसटी के लागू होने पर राज्यों के राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र सरकार द्वारा किए गए वादे को संवैधानिक जामा पहनाया जा सके. आज़ादी के बाद से अब तक के सबसे बड़े कर सुधार से आर्थिक वृद्धि में आधा फीसदी की बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही है, तथा माना जा रहा है कि इससे राजस्व का दायरा बढ़ जाएगा, व कंपनियों की लागत कुछ कम होगी.

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