देहरादून ; भारत की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चुनौतियों से गुजर रही है पहले तिमाही में जीडीपी के 6 फीसदी नीचे आने के बाद कंपनियों के मुनाफे नीचे गिरने की खबरें सामने आई हैं, डीजल के दाम बढ़ने से खेती की लागत बढ़ी है जिसके चलते किसान परेशान हैं, नौकरियों का पता नही, बैंक संकट में हैं। लेकिन फिर भी टीवी चैनलों में अन्य मुद्दों की भरमार है ऐसी चर्चाओं से मार्केट भरा पड़ा है और अन्य मुद्दों पर बहस कर लोगों की बुनियादी सम्स्याओं को सामने नही आने दिया जा रहा है। भारत सरकार के भीतर अर्थव्यवस्था को लेकर कई स्तरों पर बैठकें चल रही हैं। अब सरकार भी मानने लगी है कि जो दिख रहा है उसे अनदेखा नही किया जा सकता। वित्त मंत्री अरूण जेटली का कहना है कि पीएम मोदी से सलाह करने के बाद कुछ अतिरिक्त कदम उठाये जायेगें ताकि अर्थव्यवस्था में रफतार लाई जा सके।
जीएसटी असल में है क्या, अभी तक लोगों को यही समझ नही आ रहा है। किस पर कितना टैक्स लगाना है व्यापारी अभी तक इसी असमंजस में है जिसके छोटे व्यापारी तबाह हो रहे है और मध्यम वर्ग व्यापरियों का कारोबार ठप्प होने की कगार पर है। इसके कोई नियम ही नही हैं जिसके चलते सीए और वकील ये लोग अपनी मनचाही फीस वसूल रहे हैं और भोली-भाली जनता को पागल बना रहे हैं तथा विभिन्न प्रकार के भ्रम पैदा कर रहे हैं। इस प्रकार की खबरें सोशल मीडिया पर छाई हुई हैं।
जीएसटी महानगरों तक तो ठीक है लेकिन छोटे व्यापारियों के लिए किसी भी प्रकार से ठीक नही है। जानकारों की मानें तो सरकार को इसका समाधान जल्द से जल्द निकालना चाहिए और जीएसटी के नाम पर चल रही लूट-खसूट पर रोक लगानी चाहिए। जीएसटी के आने से मंहगाई कम होने की बजाय और बढ़ गई है जिसके चलते लोगों की समस्याएं और भी बढ़ गई हैं जबकि जीएसटी का उद्देश्य व्यापार में ठगी को नियंत्रण कराना था लेकिन हुआ बिल्कुल इसका उलट। जीएसटी का असर आप रसोईघर से लेकर बड़े और किमती उत्पादन पर देख सकते हैं जिसने आम लोगों की कमर ही तोड़ दी है।