नई दिल्ली। आईटी कर्मचार जिगिशा मर्डर केस में सात साल बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया है। जिसमें दो आरोपियों रवि कपूर और अमित शुक्ला को फांसी और तीसरे आरोप बलजीत मलिक को उम्रकैद की सजा का एलान किया गया है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप यादव ने कहा था कि तीनों अभियुक्त रवि कपूर, अमित शुक्ला और बलजीत सिंह मलिक के खिलाफ मामला साबित हो गया है. परिस्थिति जन्य सबूतों से यह पूरी तरह स्पष्ट हो जाता है कि तीनों दोषियों ने ही हत्या के लिए जिगिशा का अपहरण किया था. न्यायिक हिरासत के दौरान तीनों आरोपियों के व्यवहार के संदर्भ में रिपोर्ट मांगी गई थी.
पुलिस के मुताबिक, 28 वर्षीय जिगिशा एक प्रबंधन कंसल्टेंसी फर्म में ऑपरेशंस मैनेजर के रूप में काम करती थी.18 मार्च 2009 को उसके कार्यालय की कैब ने उसे सुबह करीब चार बजे दक्षिण दिल्ली के वसंत विहार स्थित उसके घर के पास छोड़ा जिसके बाद उसका अपहरण हो गया और उसकी हत्या कर दी गई.तीन दिन बाद उसका शव हरियाणा के सूरजकुंड के पास स्थित एक जगह से मिला.
जिगिशा की हत्या के लिए कथित तौर पर इस्तेमाल किए गए हथियार की बरामदगी से सौम्या विश्वनाथन की हत्या का मामला भी सुलझ गया था जो एक समाचार चैनल में पत्रकार थी.
सौम्या की 30 सितंबर 2008 को उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी जब वह तड़के अपनी कार में घर लौट रही थी.पुलिस ने दावा किया था कि जिगिशा और सौम्या दोनों की हत्या लूटपाट के लिए की गई थी. सौम्या केस में इन्हीं हत्यारों ने खुलासा किया था कि उन्होंने उसकी हत्या इसलिए की, क्योंकि सौम्या की सेंट्रो उनकी कार से आगे निकल गई थी.हत्यारों ने सौम्या के सिर में गोली मारी थी, जिसकी वजह से कार डिवाइडर पर चढ़ गई.शुरू में पुलिस ने इसे एक्सीडेंट का केस समझा, लेकिन जब सौम्या के सिर से गोली निकली तो मामला सुलझा।