जानिए माँ के तीसरे स्वरुप के बारे में….

2129_chandraghanta-wallpaper-02माँ दुर्गा जी का चंद्रघंटा अवतार:-

दुर्गा जी का तीसरा अवतार चंद्रघंटा हैं। देवी के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र होने के कारण इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। दअपने मस्तक पर घंटे के आकार के अर्धचन्द्र को धारण करने के कारण माँ “चंद्रघंटा” नाम से पुकारी जाती हैं। अपने वाहन सिंह पर सवार माँ का यह स्वरुप युद्ध व दुष्टों का नाश करने के लिए तत्पर रहता है। चंद्रघंटा को स्वर की देवी भी कहा जाता है।

देवी चंद्रघंटा का स्वरूप:-

देवी चंद्रघंटा का स्वरूप बहुत ही अद्भुत है। इनके दस हाथ हैं जिनमें इन्होंने शंख, कमल, धनुष-बाण, तलवार, कमंडल, त्रिशूल, गदा आदि शस्त्र धारण कर रखे हैं। इनके माथे पर स्वर्णिम घंटे के आकार का चांद बना हुआ है और इनके गले में सफेद फूलों की माला है। चंद्रघंटा की सवारी सिंह है।

चंद्रघंटा देवी की मान्यता:-

देवी चंद्रघंटा का स्वरूप सदा ही युद्ध के लिए उद्यत रहने वाला दिखाई देता है। माना जाता है कि इनके घंटे की तेज व भयानक ध्वनि से दानव, अत्याचारी और राक्षस डरते हैं। देवी चंद्रघंटा की साधन करने वालों को अलौकिक सुख प्राप्त होता है तथा दिव्य ध्वनि सुनाई देती है।

माँ चंद्रघंटा का मंत्र (Mata Chandraghanta Mantra):-

स्वर्ण के समान उज्जवल वर्ण वाली माँ चंद्रघंटा की पूजा का यह मंत्र है-
पिण्डजप्रवरारुढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यां चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

पूजा में उपयोगी खाद्य साम्रगी: तृतीया के दिन भगवती की पूजा में दूध की प्रधानता होनी चाहिए और पूजन के उपरांत वह दूध ब्राह्मण को देना उचित माना जाता है। इस दिन सिंदूर लगाने का भी रिवाज है।

विशेष: इनकी उपासना से मनुष्य समस्त सांसारिक कष्टों से मुक्ति पाता है तथा परिवार में सुख स्मृद्धि बनी रहती है |

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