आज हम एक ऐसे मुद्दे पर बात कर रहे हैं जो बेहद-अजीबो गरीब है, हमारे देश में भी अब धीरे-धीरे पश्चिमी सभ्यता का चलन सर चढ़ कर बोल रहा है. समलैंगिक एक ऐसा मुद्दा है जिसको आज भी हमारे देश के अधिकतर लोग अच्छा नही मानते. यही नही समलैंगिक लोगो को आज भी हमारे समाज में अच्छी नजरों से नही देखा जाता. लेकिन आज हम ऐसे राजाकुमार की बात कर रहे है जिसने बिना किसी शर्म के खुद को गे स्वीकार किया.
राजकुमार मानवेंद्र का जन्म 23 सितंबर 1965 गुजरात के नर्मदा जिले में हुआ इनके पिता का नाम महाराजा रघुबीर सिंह था. आज लोग इनको देश ही नही बल्कि विदेशों में भी जानते है. नवेंद्र पहले ऐसे भारतीय राजकुमार गे हैं जिन्होंने खुद को सबके सामने गे स्वीकार कर लिया था. शुरू से ही यह बाकी अन्य गे लोगों की मदद के लिए कुछ ना कुछ कदम उठाते ही रहते हैं. मानवेंद्र ने राजपीपला यानी गुजरात के नर्मदा जिले के नगर में समलैंगिकों के लिए वृद्धाश्रम भी स्थापित किया है. इस वृद्ध आश्रम का नाम अमेरिकन लेखिका “जेनेट” पर रखा है.और यह एशिया का पहला गे आश्रम है.