
क्या आप को बता है भारत में बिजली से सबसे पहले कौन-सा शहर जगमगाया था नहीं पता तो हम बताते है आपको, जी हाँ भारत में सबसे पहले पहाड़ो की रानी मसूरी बिजली की रोशनी से गुलजार हुई थी। क्योकि मसूरी की खोज सबसे पहले अंग्रेजो ने कि थी और यही शहर अंग्रेजो की पहली पसंद रही है। आजादी से पहले अंग्रेजो ने 1907 में मसूरी के क्यारकुली में गलोगी पावर स्टेशन स्थापित किया था। इसी गलोगी पवार हॉउस स्टेशन में बिजली पैदा होने के बाद पहाड़ो की रानी मसूरी झिलमिला उठी थी। बताया जाता है कि इसी पावर हॉउस स्टेशन से पैदा होने वाली बिजली से मसूरी शहर के आलावा देहरादून के कुछ इलाकों में बिजली से कई घर जगमगा उठे थे
गलोगी पावर स्टेशन देश की सबसे पुरानी जल विद्युत स्टेशनो में से एक है. उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड के तहत आने वाले इस ऐतिहासिक बिजली घर का अब धीरे-धीरे प्रभाव कम हो रहा है. आजादी से पूर्व बने इस बिजली घर को अंग्रेजो के कार्यकाल में चालू किया गया था. सच कहे तो पावर स्टेशन गलोगी देश में 1907 में कमीशन होने वाला पहला बिजली घर था. यह पावर हाऊस सबसे पुराने चल रहे पावर स्टेशन के रूप में भारतीय राष्ट्रीय विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. गलोगी पावर स्टेशन मसूरी के पास क्यारकुली नदी पर स्थित है.मसूरी की तलहटी में क्यारकुली भट्टा गांव है जहां धोबी घाट से निरंतर पानी आता रहता है.
देहरादून से लगभग 22 किमी दूर स्थित इस बिजली घर में 500 किलोवाट प्रत्येक और 1000 किलोवाट की मशीने काम कर रही है. अभी भी इस इकाई से पर्वतों की रानी मसूरी को बिजली आपूर्ति की जा रही है.
इसी क्षेत्र से आगे चलकर दून घाटी अनारवाला सब स्टेशन के माध्यम से उत्तरी ग्रिड से जोडऩे के लिए प्रबंधन किया गया है. इस ऐतिहासिक बिजली घर को १९०७ में प्रांरभ किया गया था जहां ३ मेगावाट बिजली उत्पादन किया जाता था लेकिन अब बिजली की भारी मांग को देखते हुये गलोगी पावर हाउस मसूरी की बिजली पूरी नही कर पा रहा है. अब इसका विकल्प अन्य क्षेत्रों से बिजली लेकर पूरा किया जा रहा है.