भाई – बहन का खट्टा – मीठा रिश्ता दुनिया का सबसे प्यारा रिश्ता है, ये आपस में चाहे कितना भी लड़ झगड़ ले लेकिन इनमे प्यार कभी कम नहीं होता।भाई – बहन के अटूट रिश्ते और प्यार की निशानी है रक्षाबंधन का त्यौहार। “रक्षाबंधन” भाई – बहन का ये त्यौहार वर्षो से मनाया जाता है।इस त्यौहार में जहा बहन भाई की कलाई पर राखी बांध कर उसकी खुशिओ की, लम्बी उम्र की दुआ करती है वही बही भी अपनी कलाई पर राखी बंधवा कर अपनी बहन को आजीवन सुरक्षा करने का वचन देता है। यही नहीं यहाँ त्यौहार उपहारों का भी है, बहन को भाई से राखी बंधने के बदले उपहार भी मिलते है।
यह त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। लेकिन इसे क्यों मनाते हैं इसके पीछे कई कहानियां प्रचलित हैं।
रानी कर्णावती व सम्राट हुमायूं
रक्षाबंधन से सम्बंधित रानी कर्णावती व सम्राट हुमायूं की कहानी तो हमने बचपन से ही सुनी है, रानी कर्णावती जो चितौड़ के राजा की विधवा थीं, अपने राज्य और प्रजा की गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से रक्षा करने के लिए उन्होंने सम्राट हुमायूं से मदद मांगी।उन्होंने हुमायूं को एक राखी भेजी और उनसे रक्षा के लिए निवेदन किया, रानी की यह राखी पाकर बादशाह ने उन्हें बहन का दर्जा दिया और उनके राज्य को सुरक्षा प्रदान की।
इस कहानी के अलावा और भी कई पौराणिक कहानिया है जो अपने शायद कभी नहीं सुनी होगी ऐसी ही कुछ कहानी हम आपको सुनते है
लक्ष्मी जी और रजा बलि
जब बलि ने अपने ११० यज्ञ पूर्ण कर लिए तब स्वर्ग के सभी देवता भयभीत हो गए की अब राजा बलि स्वर्ग पर कब्ज़ा न कर ले। इसी डर से देवता भगवान विष्णु के पास गए और उनसे रक्षा करने की फ़रियाद करी।
उसके बाद भगवान विष्णु ब्राह्मण का रूप धारण कर बलि से भिक्षा मांगने गए और भिक्षा में उन्होंने राजा से तीन पग भूमि मांगी। बलि ने भिक्षा में तीन पग भूमि देने का वादा कर दिया। उसके बाद विष्णु जी ने वामन रूप धारण कर एक पग स्वर्ग में और दूसरा पग पृथ्वी पे रख कर दो पग नाप लिए वामन का तीसरा पग आगे बढ़ता हुआ देख राजा परेशान हो गए, वे समझ नहीं पा रहे थे कि अब क्या करें और तभी उन्होंने आगे बढ़कर अपना सिर वामन देव के चरणों में रखा और कहा कि तीसरा पग आप यहां रख दें।
जिससे राजा से स्वर्ग और पृथ्वी पर रहने का अधिकार छीन लिया गया और वे रसातल लोक में रहने के लिए विवश हो गए। बलि ने अपने तप से भगवान विष्णु से रात – दिन अपने सामने रहने का वचन ले लिया और भगवान विष्णु को उनका द्वारपाल बनना पड़ा।
विष्णु जी के द्वारपाल बनने के कारण परेशान लक्ष्मी जी को नारद मुनि ने उपाय दिया की वो बलि को राखी बांध कर उनसे उपहार में विष्णु जी को मांग ले । कहते है की तब से रक्षाबंधन मनाया जाता है।