जानते हैं दुनिया के कुछ अजीबो गरीब रस्मोरिवाज, दहला देंगे आपका दिल और दिमाग –

आज हम आपको बताते हैं दुनिया की कुछ अजीबो गरीब रस्मोरिवाज के बारे में , जिसे आंखे देख नहीं पाएंगी और सुन के आपकी रूह काँप उठेगी । दुनिया के हरेक हिस्से से कोई न कोई प्राचीन सभ्यता जुडी हुई है जो कि आज भी जिन्दा है. भले हम इन्हे परंपरा या रीतियों का दर्जा दे , पर हैं ये सब इंसान के द्वारा बनाई गयी प्रथा, जिनमे किसी की जान का भी खतरा हो सकता है। बात करते हैं कुछ ऐसी ही रस्मोरिवाजो की –

मृत व्यक्ति की अस्थियां को खाने की परंपरा (Endocannibalism) :-
आपको जानकार आश्चर्य होगा, लेकिन यह सच है कि ब्राजील और वेनेजुएला के कुछ आदिवासी समुदाय अपने मृत रिश्तेदारों की अस्थियां खाते हैं। शव को जलाने के बाद बची हड्डियां और राख का सेवन किया जाता है।इनका मानना है की ऐसा करने से यह लोग मरे हुए लोगो के प्रति जुड़ाव और प्यार महसूस करते हैं ।

नरभक्षण और शवभक्षण (Eating Human Body) :-
भारत के वाराणासी में अघोरी बाबा रहते हैं। ये अघोरी मृत व्यक्ति के शरीर के टुकड़े और मांस के लूथड़े खाने के लिए जाने जाते हैं। इनका मानना है कि ऐसा करना से इनके मन से मौत का डर हमेशा के लिए चला जाएगा। हिंदू मान्यता के मुताबिक, पवित्र व्यक्ति, बच्चे, गर्भवती, कुवारी लड़कियां, कुष्ठ रोग और सांप के काटे जाने वाले व्यक्ति का दाह संस्कार नहीं किया जाता है। इन सभी को गंगा नदी में बहा दिया जाता है। अघोरी बाबा इन्हें वहां से निकाल अपने रस्म पूरी करते हैं।

बॉडी मॉडिफिकेशन (Body Modification) :-
पपुआ न्यूगिनी कनिंनगारा जैसी डरावनी रस्म निभाते हैं। इसमें वह अपने शरीर पर खुरचन कर के डिजाइन बनाते हैं,ताकि ये जीवन भर रहे । वहीं, घर के किशोरों को ये आत्माओं का घर में अकेले दो महीने तक छोड़ दिया जाता है ताकि बाद में उन्हें मर्द बनाने की परंपरा निभाई जाये । उनके शरीर पर बांस के लकड़ी से छोटे खूनी निशान बनाए जाते हैं। यह निशान इस समुदाय में मर्दानगी की निशानी है।

शिया मुस्लिम को शोक (Ashura) :-
इतिहास में कई सभ्यताओं में रक्तपात के उदाहरण मिले हैं। दुनियाभर में शिया मुस्लिम पैगंबर साहब के पोते इमाम हुसैन की मौत में शोक व्यक्त करते हैं। हुसैन की मौत शिया मुस्लिम द्वारा 7वीं सदी में करबला के युद्ध में हुई थी। सभी शिया हुसैन की याद में शोक करते हुए कहते हैं, हम उस युद्ध में क्यों नहीं थे, अगर होते तो हुसैन को बचा लेते। सभी शिया खुद को पाप का भागीदार मानते हैं। वह अपने ऊपर अत्याचार करते हैं और खुद को लहूलुहान करते हैं।

आकाश में दफन (Sky Burial) :

तिब्बत के बौद्ध समुदाय के लोग पवित्र रस्म झाटोर हजारों सालों से निभाते आ रहे हैं। यह मृत शरीर को खुले आसमान में गिद्धों को दूसरे पक्षियों के लिए रख देते हैं। तिब्बत में मान्यता है कि इससे इंसान का पुर्नजन्म होगा। यहां मृत व्यक्ति के लाशों को टुकड़ों में काट कर सबसे ऊंची जगह फैला दिया जाता है, जो गिद्ध वगैरह आ के खा जाते हैं ।

आग पर चलना (Walking on Fire) :-
मलेशिया के पेनांग में 9 देवताओं का त्यौहार मनाने की परंपरा है। यहां की धार्मिक मान्यता के मुताबिक, आग के अंगारों पर चलने का चलन है। विश्वास है कि इस आग से निकल कर वे पवित्र हो जाएंगे और बुरी शक्तिओं के बंधन से भी मुक्त हो जाएंगे। यह परम्परा भारत के भी कई हिस्सों में पायी जाती है।

मृत शरीर के साथ नाचना (Famadihana) :-
भले ही आप सोच कर थोड़ा हंसे, लेकिन यह सच है कि मेडागास्कर में आदमी के मरने के बाद त्यौहार जैसा माहौल होता है। फामाडिहाना यानी टर्निग ऑफ द बोन्स रस्म में लोग दफन शवों को फिर से निकाल उनकी यात्रा निकालते हैं। इस दौरान लोग गाते हैं, नाचते हैं। मस्जिद में कब्रों के नजदीक जोर से म्यूजिक बजाते हैं। इसी अजीबोगरीब परंपरा को दो साल से सात साल के बीच में किया जाता है।

शरीर को भेदना (Face Piercing) :-
थाईलैंड के फुकेट में हर साल वेजेटैरियन फेस्टिवल मनाया जाता है। इस फेस्टिवल में एक रस्म निभाई जाती है जो कि सबसे ज्यादा हिंसात्मक और दर्दनाक रस्म है। इस रस्म में भक्त लोग चाकू, भाला, बंदूक, सुई, तलवारें और हुक जैसी चीजों से अपने शरीर को भेदते हैं। इनका विश्वास है कि भगवान उनकी रक्षा कर रहे हैं।

 

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here