रोहिंग्या को तो बसा रहे हैं लेकिन हिन्दुओं को शरण कौन देगा !

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पढ़िए इस बांग्लादेशी हिन्दू की दर्द भरी पीड़ा

जमात के लोगों के डर से भागकर भारत आया हिन्दू युवा पकड़ा गया

सहसपुर में पकड़ा गया बांग्लादेशी की पीड़ा एक अधिवक्ता की कलम से

देहरादून। बार एसोसिएशन के युवा अधिवक्ता अमित तोमर सहसपुर में पकड़े गए हिन्दू बांग्लादेशी को लेकर काफी सचेत है। जहां पुलिस इस बांग्लादेशी को पकड़कर अपनी पीठ थपथपा रही है, वहीं एक बांग्लादेशी हिन्दू के भारत आने को श्री तोमर गलत नहीं मानते हैं। पूरे विश्व में हिन्दुओं का और कौन सा ठिकाना है जहां वह जाएं। अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों द्वारा हिन्दू समाज को किस तरह उत्पीड़ित किया जाता है, इस बांग्लदेशी का पकड़ा जाना भी इसी का उदाहरण है। श्री तोमर ने निर्णय लिया है कि वह इस युवक का मुकदमा स्वयं लड़ेंगे तथा उसे पुलिस के चंगुल से छुड़ाएंगे। अधिवक्ता श्री तोमर का कहना है कि मुझे रात यह भी बताया गया कि जो बंगलादेशी पकड़ा गया हो हिन्दू ब्राह्मण है जो जान बचा किसी प्रकार देहरादून पहुंचा है।
विकास नगर कचहरी में कुछ केस लगे थे मार्ग में सहसपुर थाना पड़ता है। एक सूचना मुझे थाने की ओर ले गयी और किसी प्रकार इस “अवैध बंगलादेशी” से मिल सका। नाम पूछा तो बताया कि उसका नाम आलोक मुखर्जी है और उसका परिवार बंगलादेश के एक सुदूर गांव में रहता है, उसके पिता एक पंडित है जो कर्म-कांड आदि काम करते है। उसके पिता पर अनेको बार जिहादियों द्वारा हमले किये गए और उसके पिता किसी प्रकार बचे। बंगलादेश के जिहादी जमात-ऐ-इस्लामी संगठन द्वारा उसके गांव में मंदिर तोड़े गये। श्री तोमर का कहना है कि इस युवक का हाथ बीच से तोड़ दिया गया है। लड़खड़ाती हिंदी में यह मासूम 19 साल का आलोक मुझे अपना हाथ दिखा रहा था।
हाथ लगभग एक फुट सिला हुआ था। मानो किसी जानवरों के डॉक्टर ने सिलाई की हो। चोट लगने का कारण पूछने पर आलोक ने बताया कि जमात के लोगों ने घर जलाने का प्रयास किया था, प्रतिरोध में उसका हाथ काट दिया वह रो ही रहा था। मैंने साहस कर उससे पूछा,” तुम्हारे माँ-बाप को बता दूं कि तुम पकड़े गए और जेल जा रहे हो”। वो बिलख उठा और टूटी-फूटी हिंदी-बांगला में बोल “दादा, मैं भारत यह बोल आया था कि अपने माँ-बाप और भाई-बहन को भी जल्द इस्लामी नरक से निकल भारत ले आऊंगा, यदि उन्हें पता चला कि मैं पकड़ा गया तो शायद वो सब मर जायेंगे, मैं उनकी एक मात्र उम्मीद हूँ”, किसी प्रकार उसने 1 साल का भारत का वीजा लिया और जान बचाने “हिन्दू राष्ट्र” में शरण मांगने आ पहुंचा। इस मासूम बच्चे को यह नही पता था कि भारत मे बर्मा से 3500 किलोमीटर दूर बसे नरपिशाच रोहिंगया मुसलमानो को जम्मू में केंद्र सरकार बसा सकती है पर एक मजबूर हिन्दू के लिए इस तथाकथित “हिन्दू राष्ट्र” में कोई स्थान नही। इस बच्चे के लिए कोई वकील कोई सामाजिक कार्यकर्ता आगे नही आएगा क्योकि सबको पैसे चाहिए जो इस बच्चे के पास नही। अधिवक्ता श्री तोमर ने कहा कि वह इस बच्चे का मुकदमा निशुल्क लड़ेंगे और उसका अधिकार दिलाएंगे। उन्होंने कहा कि भले ही चाहे उनके प्राण तक चले जाएं लेकिन वह एक हिन्दू की रक्षा करके ही रहेंगे।

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