चंपावत विधानसभा सीट पर होने जा रहे उपचुनाव में सीएम धामी को घेरने की पूरी रणनीति !
देहरादून- (एस.एस तोमर) चंपावत विधानसभा सीट पर होने जा रहे उपचुनाव को लेकर भाजपा ने प्रत्याशी का ऐलान कर दिया है। बीजेपी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को चुनावी रण में उतारा है। तो वहीं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने लंबे मंथन के बाद भी प्रत्याशी का ऐलान नहीं किया है, इससे साफ जाहिर है कि कांग्रेस ऐसे प्रत्याशी के नाम पर विचार कर रही है जो केवल कड़ी टक्कर ही नहीं देगा बल्कि सीएम को हराने का भी काम करेगा। इस बात के संकेत कांग्रेस ने इस बयान से दिया है कि जिस तरह से कांग्रेस ने खटीमा से सीएम के सामने भुवन कापड़ी जैसे मजबूत प्रत्याशी को चुनावी रण में उतारा वैसा ही उम्मीदवार चंपावत सीट पर देखने को मिलेगा। कांग्रेस ने घेराबंदी की पूरी तैयारी कर ली है। चंपावत विस के लिए नियुक्त किए गए कांग्रेस के पर्यवेक्षकों ने अपनी रिपोर्ट पार्टी हाईकमान को सौंप दी है जिसमें बताया जा रहा है कि 5 दावेदारों के नाम पैनल में आए हैं। अब इन नामों में से कौन सा प्रत्याशी सीएम धामी को कड़ी टक्कर देगा उसके नाम का ऐलान होना बाकी है।
बीजेपी ने झोंकी पूरी ताकत
सीएम के उप चुनाव को जीतने के लिए भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी है… केंद्रीय नेताओं को प्रभारी व सह प्रभारी तक की अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है। कई पदाधिकारी कई दिनों से चंपावत में ही डटे हैं। बताया जा रहा है कि पदाधिकारी बूथ लेवल पर काम कर रहे हैं ताकि किसी भी बूथ से सीएम को कम वोट न पड़े।
सीएम को भितरघात का भी बड़ा डर !
कहते हैं कि दूध का जला भी छांछ फूंक-फूंक कर पीता है। यह बात हम इसलिए आपको बता रहे हैं कि हाल ही में हुए चुनाव में सीएम को करारी हार का सामना करना पड़ा। बताया जा रहा है कि खटीमा सीट पर षड्यंत्र के तहत सीएम को हराने के लिए पार्टी के कई नेताओं ने जोर आजमाइस की। जिसका परिणाम यह हुआ कि सीएम भारी अंतर से हारे। इस सीट से भितरघात की विशेष रिपोर्ट मंगवाई गई। हालांकि किन-किन लोगों ने भितरघात किया इसका खुलासा पार्टी उप चुनाव के बाद कर सकती है। ऐसे में सीएम को डर सताने लगा है कि जिन लोगों पर वे भरोसा कर रहे हैं क्या वो सीएम की नैया पार लगाएंगे या फिर से भितरघात का सामना करना पड़ेगा।
क्या रहा चंपावत विधानसभा का इतिहास
चंपावत विधानसभा चंपावत जिले के अंतर्गत आती है। इस सीट पर 2002 से लेकर 2022 तक ब्राह्मण विधायक ही चुना जाता रहा है। ब्राह्मण बाहुल्य इस सीट पर 2002 में पहला चुनाव कांग्रेस प्रत्याशी हेमेश खर्कवाल ने जीता, 2007 में भाजपा प्रत्याशी बीना ने जीत दर्ज की, 2012 में फिर से कांग्रेस के हेमेश खर्कवाल विधायक बने, जबकि 2017 और 2022 में भाजपा प्रत्याशी कैलाश गहतोड़ी विधायक चुने गए। 21 अप्रैल को कैलाश गहतोड़ी ने सीएम के लिए सीट छोड़ते हुए विस अध्यक्ष को इस्तीफा सौंपा… तब से लेकर अभी तक सीट खाली चल रही है।
आखिर क्यों चुनी सीएम ने चंपावत विधानसभा सीट?
चंपावत विधानसभा सीट खटीमा से लगी हुई विधान सभा है जहां से सीएम धामी चुनाव लड़ते आए हैं। साथ ही पहाड़ और मैदान का सामंजस्य इस इस सीट पर देखा जा सकता है। सैन्य वोटर भी चंपावत में अधिक संख्या में रहता है। वहीं सीएम इस क्षेत्र से अपने बचपन की यादें भी ताजा करते रहे हैं।
आप भी दमदारी से लडेगी उप चुनाव
हाल ही में राज्य में हुए उप चुनाव में भले ही आम आदमी पार्टी ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा हो, लेकिन 68 सीटों पर जमानत जब्त हुई और एक भी सीट पर चुनाव नहीं जीत पाई। आप के नवनियुक्त अध्यक्ष दीपक बाली का दावा है कि आप दमदारी से चंपावत में चुनाव लड़ेगी। हालांकि आपने अभी तक उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है।
सीएम धामी की कड़ी अग्नि परीक्षा
चौथी विधानसभा में धामी को काम करने का बहुत कम समय मिला। लेकिन चुनावी साल में कई अहम घोषणाएं व ताबड़तोड़ फैसले सीएम धामी ने लिए। पांचवीं विधानसभा के लिए भाजपा ने धामी के चेहरे पर चुनाव लड़ा लेकिन वे राज्य में भाजपा को 47 सीटें दिलाने में तो कामयाब रहे लेकिन वे खुद चुनाव हार गए । ऐसे में माना जा रहा है कि उप चुनाव जीतने के लिए सीएम धामी की राह इतनी आसान नहीं है। यदि सीएम चुनाव हार जाते हैं तो केंद्रीय नेताओं की नजरों में सीएम बहुत बौने साबित होंगे और चुनाव जीत जाते हैं तो पद के साथ कद भी बड़ा हो जाएगा। चर्चा का बाजार इस बात को लेकर गर्म है कि पार्टी के वे ने भितरघात कर सकते हैं जिनका नाम सीएम रेस की लिस्ट में सामने आता रहा है। भितरघात के डर को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को खुद ही मोर्चा संभालना होगा, जिससे चंपावत उप चुनाव जीत जा सके। हालांकि अब तक राज्य में चार मुख्यमंत्रियों ने उप चुनाव लड़ा है जिनमें से किसी भी मुख्यमंत्री ने उप चुनाव नहीं हारा है, लेकिन ब्राह्मण बाहुल्य इस सीट पर क्या ठाकूर चेहरे पर पहली बार चंपावत की जनता भरोसा कर पायेगी।