देहरादून{शैली श्रीवास्तव}- सूबे मे एक बार फिर निकाय चुनाव मे कांग्रेस को अपनी गुटबाजी बाहरी पड़ गई। लोकसभा से पहले देखे जा रहे सेमीफाइनल मे कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है। सूबे मे सात नगर निगमों मे से कांग्रेस महज 2 सीटें ही अपने पाले मे ला पाई। आपको बता दे कि बीते दिनों कांग्रेस पार्टी दो खेमों में बटी नजर आयी थी। देहरादून मेयर पद पर पूर्व मंत्री दिनेश अग्रवाल को टिकट मिलने से खफा नेताओं ने कांग्रेस पर गढ़वाली विरोधी कांग्रेस का आरोप तक लगा डाला था। पार्टी की यह कलह बयान बाजी के रूप मे खुल कर सामने भी आयी थी।यहां तक कि नेताओं ने सार्वजनिक रूप से रोष जाहिर करने से भी परेज नहीं किया। टिकट को लेकर कांग्रेस मे हाथापाई, गाली-गलौज तक देखने को मिला था। मामला इतना बढ गया था, कि पार्टी नेताओं को पुलिस तक को बुलाना पड़ा था। यही वजह रही कि फिर एक बार गुटबाजी के कारण कांग्रेस को आॅधे मुंह गिरना पड़ा और सबेस हाॅट सीट देहरादून पर फिर एक बार भाजपा का कब्जा हो गया है।निकाय चुनाव कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह की प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ था। कांग्रेस के सामने बेहतर प्रर्दशन करने की बड़ी चुनौती थी। लेकिन निकाय चुनाव के परिणाम से साफ है हो गया कि कांग्रेस के भीतर अभी भी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। आम जनता की माने तो कांग्रेस पार्टी सूबे मे अपनी उपस्थिति मजबूती से दिखाने मे पूरी तरह नाकामयाब रही। पार्टी कुछ ऐसा बड़ा नहीं कर पाई जो जनता का रूझान अपनी और आकृषित कर पाये। वहीं पार्टी के दिग्गज नेता तक अलग-अलग दिशा मे चलते नजर आये। बात चाहे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की करे या फिर नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हदेश की या पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय की करे कोई भी दिग्गज एक साथ मजबूती से पार्टी के साथ खडे़ होते नहीं दिखाई दिया। यहां तक की नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हदेश अपने बेटे के प्रचार मे ही लगी रही। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी पार्टी से दूर-दूर नजर आये और इस का नुकसान पार्टी को निकाय चुनाव की हार के रूप मे उठाना पड़ा। कांग्रेस को इसी गुटबाजी के कारण विधानसभा चुनाव मे भी करारी हार का सामना करना पड़ा था। और अगर कांग्रेस मे ये गुटबाजी ऐसी चलती रही है तो कही कांग्रेस को निकाय चुनाव के साथ साथ आगामी लोकसभा चुनाव मे भी इसका नुकसान न उठाना पडे।वहीं कांग्रेस की हार पर सफाई देते हुए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि कम संसाधनों के बावजूद कांग्रेस ने हर स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करने की कोशिश की और भाजपा को कांटे की टक्कर पर ला खड़ा किया। कांग्रेस ने भाजपा की एकतरफा जीत के भ्रम को तोड़ने का भी काम किया है। उन्होंने कहा कि बीते समय में कांग्रेस जिस विकट परिस्थितियों से गुजरी है, उसे देखते हुए कांग्रेस को मुस्तैदी से खड़ा करने की बड़ी चुनौती थी। कांग्रेस ने अपने प्रदर्शन से यह साफ कर दिया है कि पार्टी किसी भी चुनौती से सामना करने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि जिन परिस्थितियों में कांग्रेस का जिम्मा उन्हें मिला था, उन्होंने प्राथमिकता के साथ कांग्रेस को मजबूती से खड़ा करने का काम किया। अध्यक्ष होने के नाते सभी से सहयोग का काम किया है। कांग्रेस ने कार्यकर्ताओं ने जिस एकजुटता से काम किया, उसके लिए वह सभी को सेल्यूट करते हैं। उन्होंने भाजपा पर प्रशासन के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए कहा कि जिस तरह दो से तीन बार रिकाउंटिंग कराई गई, वह सीधे नियमों का उल्लंघन था। और निर्वाचन आयोग पर इस हार का ठिकरा फोड़ते हुए कहा कि निवार्चन आयोग ने भी सरकार की कठपुतली की तरह काम किया है।