देहरादून- उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड अस्तित्व में आने के बाद से ही चारधाम समेत 51 मंदिरों की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की कवायद में जुट गया है। इसके लिए देवस्थानम बोर्ड पहले चरण में चारधाम के गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में स्टाफ नियुक्ति का ढांचा तैयार करने की कवायद में जुट गया है। इसके साथ ही चारधामों के हक हकूकधारियों के अधिकारियों को संरक्षित करने के लिए उनके दस्तावेजों का परीक्षण किया जाएगा। यही नहीं बद्री केदार मंदिर समिति के अधीन परिसंपत्तियों को देवस्थानम बोर्ड अधीन लाने की कवायद भी शुरू हो गई है।
वही उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के सीईओ रविनाथ रमन ने बताया कि बोर्ड की अधिसूची के अनुसार बोर्ड में 51 मंदिरों को शामिल किया गया है। हालांकि एक्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि जो मंदिरों के हकहकूक और दायित्वधारी थे, उनके अधिकारों को यथावत रखा गया है। लिहाजा इन मंदिरों का देखरेख वही लोग करेंगे। साथ ही बताया कि बीकेटीसी का दायरा बद्रीनाथ, केदारनाथ और पंच बद्री एवं पंच केदार समेत अन्य मंदिर तक ही सीमित था। ऐसे में जो अन्य मंदिर है उसके लिए कर्मचारियों की नियुक्ति की जाएगी।
यमुनोत्री और गंगोत्री धाम में कर्मचारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू…..
हालांकि अभी फिलहाल यमुनोत्री और गंगोत्री धाम में कर्मचारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। क्योंकि यमुनोत्री और गंगोत्री धाम में स्टाफ की जरूरत है लिहाजा देवस्थानम बोर्ड इन दोनों धाम के लिए ढांचा तैयार कर किया जा रहा है। और जल्द ही इसके संस्कृति के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जाएगा। यह नहीं, मंदिर के हक हकूकधारियों के अधिकार संरक्षित होंगे इसके लिए जो दस्तावेज डाक्यूमेंट्स आदि हैं उसका परीक्षण करने के बाद ही उनके अधिकारों को प्रिजर्व किया जाएगा। ताकि मंदिरों में एक बेहतर व्यवस्था को लागू किया जा सके। जिसमें परिसंपत्तियों का मेंटेनेंस, रोड एप्रोच, सफाई व्यवस्था के साथ ही स्वास्थ्य सुविधाओं को सुनिश्चित किया जाना है।
मंदिरों की संपत्ति रहेंगी मंदिरों के नाम…….
यह नहीं, बद्री केदार मंदिर समिति कि जो सभी लायबिलिटी थी वह अब बोर्ड में निश्रित हो गई है। ऐसे में जो बीकेटीसी की जो परिसंपत्तिया है वह सभी बोर्ड में शामिल हो जाएंगी। हालांकि, जो मंदिर से जुड़ी हुई परीसंपत्तियां, आभूषण, पैसे हैं, मंदिर के ही नाम रहेगी, और पहले से चली आ रही प्रक्रिया के तहत थी उसका देखरेख किया जाएगा। बीकेटीसी के नाम जो परिसंपत्तिया और राज्य सरकार या फिर जिला पंचायतों के माध्यम से दी गयी है वो सभी उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के अधीन आ जाएगा।





