
रणजी मैच के हाथ से निकल जाने को लेकर खेल मंत्री अरविंद पाण्डेय ने खुद नैतिक जिम्मेदारी ली है खेल मंत्री का कहना है कि निराश न हों जल्द ही नई रोशनी दिखाई देगी । मुझ पर भरोसा रखीये।
भाजपा प्रदेश कार्यालय में जनता दरबार में जन समस्या सूनने पहुचे खेल मंत्री ने बड़ी बेबाकी के साथ उस नाकामी को अपने सर ले लिया जिसको लेकर लगातार किक्रेट संघो की आपसी तालमेल न होने के चलते राज्य को अभी तक बीसीसीआई से मान्यता नही मिली है। हालांकि, पांडे ने उम्मीद जताई कि राज्य में जल्द ही सभी क्रिकेट एसोसिएशन एक हो जाएंगी तो बीसीसी से मान्यता मिलने का रास्ता साफ होगा। राज्य में सरकार बनने के बाद पहले रणजी मैच को लेकर सरकार ने तमाम दावे किए थे. बताया यह गया कि उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के बीच 24 अक्टूबर से रणजी मैच देहरादून के महाराणा प्रताप क्रिकेट स्टेडियम में होगा। इतना ही नहीं बीसीसीआई की एक टीम देहरादून भी आई थी। हालांकि, प्रदेश को ठब्ब्प् की मान्यता न मिलने और क्रिकेट एसोसिएशनों के बीच एका न होने के कारण मैच को लेकर संशय खड़ा हो गया था।
बता दें कि सरकार ने आनन फानन सभी क्रिकेट एसोसिएशनों के पदाधिकारियों की समन्वय समिति बनाकर सूची बीसीसीआइ को भेजी। मगर, तब तक काफी देर हो गई और यह मैच लखनऊ के खाते में चला गया। जिससे सरकार की खासी किरकिरी भी हुई, खेल मंत्री अरविंद पांडेय ने रणजी मैच हाथ देहरादून में आयोजित न होने फिसलने से संबंधित सवाल पर कहा कि क्रिकेट के खिलाड़ी हताश न हों, हमारी मेहनत थोड़ी विफल जरूर हुई है, लेकिन हम पूरी मुस्तैदी से जुटे हैं, जल्द ही इसके सकारात्मक नतीजे सामने आएंगे और प्रतिभाओं को उप्र अथवा दूसरे राज्यों की ओर पलायन नहीं करना पड़ेगा।