ये हादसा हुआ 5 अप्रैल 1993 को. जगह थी वर्सोवा, अंधेरी वेस्ट मुंबई के तुलसी अपार्टमेंट की पांचवी मंजिल का एक अपार्टमेंट. इस अपार्टमेंट के लिविंग रूम की खिड़की से दिव्या रात 11.30 बजे ग्राउंड फ्लोर पर गिरीं. उन्हें नजदीकी कूपर अस्पताल ले जाया गया. वहां उन्होंने दम तोड़ दिया. 7 अप्रैल को हिंदू रीति रिवाज से उनका अंतिम संस्कार पति साजिद नाडियावाला ने किया. मुंबई पुलिस के मुताबिक दिव्या भारती की मौत एक एक्सिडेंट है.
अब बात मौत की गुत्थी और उसके आगे पीछे के तमाम ब्यौरों की.
ओम प्रकाश भारती और मीता भारती की बेटी दिव्या भारती ने नवीं क्लास की पढ़ाई के बाद 14 साल की उम्र में स्कूल छोड़ दिया. तब तक वह कुछ मॉडलिंग कर चुकी थीं. गोविंदा के भाई कीर्ति कुमार ने उन्हें बतौर हीरोइन लॉन्च करने का फैसला किया था. पर बाद में बात बिगड़ गई. फिर दिव्या तेलुगु में बनी फिल्म बूबली राजा में वेंकटेश की हीरोइन बनीं. फिल्म सुपरहिट रही. हिंदी में लॉन्च पैड बनी राजीव राय की फिल्म विश्वात्मा. इसके बाद दिव्या ने धड़ाधड़ कई हिंदी और तेलुगु फिल्में साइन कीं. तब तक वह परिवार के साथ रहती थीं. पिता से ज्यादा नहीं बनती थी. मां के बारे में कई मीडिया रिपोर्ट्स में इस तरह की खबरें आईं कि वह ताश और जुए की लत से पीड़ित थी. छोटा भाई कुणाल दिव्या के बहुत करीब था.
एक दिन दिव्या फिल्म सिटी में शूटिंग कर रही थीं. फिल्म थी शोला और शबनम. वहां हीरो गोविंदा से मिलने साजिद नाम का एक प्रॉड्यूसर आया. दिव्या और साजिद की मुलाकात हुई, प्यार हुआ और दिव्या के 18 साल का होते ही दोनों ने शादी कर ली. दिव्या के पिता ओम प्रकाश इस शादी के खिलाफ थे. उन्होंने कथित तौर पर बेटी से बात बंद कर दी. मगर दिव्या घर का खर्च उठाती रहीं.
शादी के बाद वह वर्सोवा के तुलसी अपार्टमेंट में रहने लगीं. साजिद और दिव्या ने कुछ हफ्तों तक अपनी शादी को छिपाकर रखा. उस वक्त की मुंबई में सांप्रदायिक तनाव चरम पर था. साजिद मुस्लिम थे, जबकि दिव्या हिंदू. शादी की खबर के बाद हीरोइन के करियर को वैसे ही हिचकोले लग जाते हैं, ऐसा माना जाता था.
बहरहाल, अब बात उस दिन की, जिस दिन ये सब हुआ. 4 अप्रैल को दिव्या एक फिल्म की शूटिंग कर चेन्नई से मुंबई लौटीं. अगले दिन उन्हें शूटिंग के लिए हैदराबाद जाना था. मगर तभी एक ब्रोकर ने उन्हें एक शानदार फ्लैट के बारे में बताया. अरसे से दिव्या अपने नाम पर एक फ्लैट खरीदना चाहती थीं. उनके बायें पैर में चोट लगी थी. इसी का हवाला देकर उन्होंने हैदराबाद वाले प्रॉड्यूसर को बोला, मैं 5 को नहीं 6 अप्रैल को आऊंगी.
शाम को दिव्या भाई कुणाल और ब्रोकर के साथ बांद्रा स्थित नेपच्यून अपार्टमेंट गईं. यहां उन्होंने एक 4 बेडरूम फ्लैट की डील फाइनल की. कैश में भुगतान तय हुआ. दिव्या बहुत खुश थी. उन्हें जल्द ही पति साजिद की फिल्म आंदोलन की शूटिंग के लिए मॉरिशस जाना था. तय हुआ कि उसके बाद वह इस घर में शिफ्ट हो जाएंगी. वहां से दिव्या मां के घर पहुंची. तभी उन्हें फोन आया. उनसे मिलने फैशन डिजाइनर नीता लुल्ला आ रही थीं. उन्हें आंदोलन के लिए दिव्या की ड्रेस फाइनल करनी थी.
दिव्या घर पहुंची. रात के लगभग 10 बजे नीता अपने पति साइकैट्रिस्ट डॉ. श्याम के साथ पहुंची. घर पर दिव्या के साथ उनकी मेड अमृता थी. अमृता छुटपन से दिव्या की देखभाल कर रही थीं. दिव्या, श्याम और नीता लिविंग रूम में बैठ टीवी देखने लगे. तीनों ने कुछ ड्रिंक्स भी लिए. फिर दिव्या लिविंग रूम की खिड़की की तरफ बढ़ीं.
यह खिड़की पार्किंग की तरफ खुलती थी. इसमें ग्रिल नहीं लगी थी. दिव्या खिड़की पर चढ़ गईं. और बाहर की तरफ पैर कर बैठ गईं. खिड़की के बाहर लगभग एक फुट की पट्टी थी. खुली हवा में सांस लेने जैसा कुछ थी यह स्टंटनुमा हरकत. इस दौरान वह लगातार अमृता से बात कर रही थीं. अमृता उस वक्त किचेन में इन तीनों के लिए चखना तैयार कर रही थी. पुलिस को दिए बयान की मानें तो नीता और श्याम उस वक्त वीसी प्लेयर पर कुछ देखने में मशगूल थे.
खिड़की पर बैठी दिव्या ने लिविंग रूम की तरफ मुड़कर देखा. और अपना एक हाथ खिड़की की चौखट को मजबूती से पकड़ने के लिए बढ़ाया. उनका हाथ स्लिप हो गया. वह नीचे गिरीं. ये सब कुछ ही सेकंड्स में हुआ. जब नीता, श्याम और अमृता भागकर नीचे पहुंचे, तो देखा कि पार्किंग में दिव्या तड़प रही है. चारों तरफ खून का गोला बढ़ता जा रहा था. दिव्या जिंदा थी, मगर उसकी नब्ज तेजी से डूब रही थी. वे उसे अस्पताल ले गए. कूपर हॉस्पिटल. वहां इमरजेंसी के आईसीयू वॉर्ड में दिव्या ने आखिरी सांस ली. दिव्या की आखिरी मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक दिव्या के पेट में कुछ मात्रा में एल्कोहल था.
दो दिन बाद हिंदू रीति रिवाज से दिव्या का अंतिम संस्कार कर दिया गया. दुल्हन वाली लाल चुनरी ओढ़े दिव्या की वह आखिरी तस्वीर लोगों के दिमाग में टंक गई. इस दौरान फिल्म इंडस्ट्री के तमाम दिग्गज मौजूद थे.
दिव्या भारती की मौत की जांच वर्सोवा के थानाध्यक्ष इंस्पेक्टर जे जी जाधव ने की. ये जांच पांच साल चली. आखिर में ये नतीजा आया कि ये मौत किसी साजिश का नतीजा नहीं थी और न ही आत्महत्या थी. मामले को दुर्घटना बताकर फाइल बंद कर दी गई.
जांच के दौरान घटनास्थल पर मौजूद नीता लुल्ला, उनके पति डॉ. श्याम, दिव्या के पति साजिद, माता-पिता ओम और मीता, भाई कुणाल से पूछताछ की गई. नौकरानी अमृता भी मौके पर मौजूद थी. उनसे पुलिस को महत्वपूर्ण क्लू मिल सकते थे. पर हादसे के फौरन बाद वह भयानक अवसाद का शिकार हो गईं. कुछ ही दिनों बाद उन्हें हार्ट अटैक हुआ. और फिर एक महीने के अंदर उनकी मौत हो गई.
पुलिस के सामने पहला सवाल यह था कि दिव्या खिड़की की पट्टी पर बैठने क्यों गईं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिव्या के दोस्तों को उनकी इस हरकत पर कोई अचरज नहीं हुआ. उनके मुताबिक दिव्या को इस तरह के जोखिम लेने की आदत थी. सवाल यह भी उठा कि साजिद उस वक्त कहां थे. इसका कोई तसल्लीबख्श जवाब नहीं मिलता. कुछ लोग कहते हैं कि दिव्या का पति से झगड़ा चल रहा था. कुछ अटकलें हैं कि पिता द्वारा की जा रही अनदेखी से दिव्या दुखी थीं. कुछ यह भी बताते हैं कि दिव्या अपनी मां की जुआ खेलने की आदत से परेशान थीं. मगर ये सब बातें हैं, जिनका कोई वैधानिक आधार नहीं मिला अब तक.
मौत के बाद दिव्या की दो फिल्में रिलीज हुईं. कमल सदाना के साथ रंग. इसका गाना “तुझे न देखूं तो चैन मुझे आता नहीं है” सुपरहिट हुआ. दूसरी फिल्म थी जैकी श्रॉफ के साथ शतरंज. दोनों ही फिल्में तमाम खबरों के बावजूद बॉक्सऑफिस पर कुछ खास नहीं कर पाईं. दिव्या ने उस वक्त अनिल कपूर के साथ फिल्म लाडला की तकरीबन 80 फीसदी शूटिंग पूरी कर ली थी. बाद में उनकी जगह श्रीदेवी को लेकर फिल्म पूरी की गई. इसके अलावा वह मोहरा, विजयपथ और आंदोलन की भी हीरोइन होने वाली थीं.
साजिद नाडियावाला ने साल 2004 तक जो भी फिल्म बनाई, उसे दिव्या को डेडिकेट किया. फिर उनकी शादी हो गई. इसका भी एक किस्सा है. हुआ यूँ की पत्रकार वर्धा खान दिव्या भारती की मौत पर स्टोरी कर रही थीं. इस सिलसिले में उनकी साजिद से मुलाकात हुई. फिर दोनों में क्रमशः दोस्ती, प्यार और शादी का रिश्ता कायम हुआ. साजिद आज भी दिव्या को याद करते हैं. इसका उदाहरण मिला पिछले साल आई बतौर डायरेक्टर उनकी पहली फिल्म किक से. इसमें सलमान खान ने एक सीन में दिव्या के चर्चित गाने “सात समंदर पार मैं तेरे पीछे पीछे आ गई” पर डांस किया था.
दिव्या चली गईं. भरी जवानी में चली गईं ये कहना नाकाफी होगा. 19 साल में तो जवानी शुरू होती है. देश के लाखों करोड़ों लोग उनके प्रशंसक थे. इसलिए जब जब उनकी मौत की बात चलती है. दिल मुंह को हो आता है. जिंदगी और मौत की पहेली अनसुलझी रह जाती है.