हिन्दू धर्म के पुराणों के अनुसार जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आया। ये अत्यंत पावन तीर्थ कहलाये। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है। हालांकि देवी भागवत में जहां 108 और देवी गीता में 72 शक्तिपीठों का ज़िक्र मिलता है, वहीं तन्त्रचूडामणि में 52 शक्तिपीठ बताए गए हैं।
ऐसा ही एक शक्तिपीठ हरिद्वार में स्थित है जिसको माया देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि यह मंदिर हिंदू देवी अधिष्ठात्री को समर्पित है एवम् इसका इतिहास 11वीं शताब्दी से उपलब्ध है । माया देवी मंदिर , भारत में उत्तराखंड राज्य के पवित्र शहर हरिद्वार में “देवी माया” को समर्पित है । यह माना जाता है कि देवी के हृदय और नाभि इस क्षेत्र में गिरे जहाँ आज मंदिर खड़ा है और इस प्रकार यह कभी-कभी शक्ति-पीठ के रूप में भी जाना जाता है | देवी माया हरिद्वार की अधिपतिथीदेवता है । वह तीन प्रमुख और चार-सशक्त देवता है जो शक्ति का अवतार माना जाता है
मंदिर एक सिद्ध पीठ के रूप में भी जाना जाता है , इस मंदिर में पूजा करने एवम् मनोकामना करने पर इच्छा पूरी हो जाती है | माया देवी मंदिर हरिद्वार में स्थित तीन तरह के पीठों में से एक है , पहला “चंडी देवी मंदिर“ और दूसरा “मनसा देवी मंदिर“ हैं ।भक्त हरिद्वार के इस पवित्र मन्दिर में बैठकर अध्यक्षता करने वाले देवता की पूजा करने आते हैं ।