जानकारों की मानें तो हमारे जीवन में वास्तुशास्त्र की उपयोगिता का बड़ा ही महत्व होता है. वास्तुशास्त्र की उपयोगिता तब पड़ती है जब हमारे घर, ऑफिस या फिर अन्य किसी स्थल पर मौजूद ऊर्जाएं नकारात्मक रूप लेकर हमारे परिवार या करोबार को प्रभावित कर रही हों। तब इस विद्या के सिद्धांतों के अनुसार हमें उपाय करने होते हैं।
ज्योतिष की मानें तो अगर कोई भी दिशा किसी भी तरह के वास्तुदोष से ग्रस्त है तो इसका सीधा खामियाजा उस घर या ऑफिस या किसी अन्य स्थान पर आने-जाने वाले या रहने वाले लोगों को भुगतना पड़ता है।
ज्योतिष की मानें तो घर की अलग-अलग दिशाओं का वास्तुदोष परिवार के अलग-अलग व्यक्तियों को प्रभावित करता है।
घर की उत्तर दिशा अगर वास्तुदोष से पीड़ित है तो यह उस घर की महिलाओं के स्वास्थ्य पर सीधा असर डालती है। इसके अलावा परिवार की आमदनी भी इससे प्रभावित होती है।
घर के उत्तर-पूर्व का वास्तु दोष घर के मालिक समेत सभी पुरुषों और संतानों पर पड़ता है। संतान विशेषकर बड़े लड़के पर इसका नकारात्मक प्रभाव दिखाई देता है।
पूर्व दिशा का वास्तु दोष संतानों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है।आग्नेय कोण जिसे दक्षिण-पूर्वी दिशा के तौर पर बेहतर समझा जाता है, अगर वह कोना किसी प्रकार के दोष से पीड़ित है तो इसका नकारात्मक प्रभाव दूसरी संतान पर देखने को मिलता है। इसके अलावा घर की स्त्रियां भी परेशान रहती हैं।
घर की दक्षिण दिशा में अगर किसी प्रकार का वास्तु दोष होता है तो इसका असर घर की मुख्य स्त्री पर पड़ता है। घर में जितनी भी महिलाएं हैं वो इसकी चपेट में आती हैं।
पश्चिम-दक्षिणी, यानि नैऋत्य कोण का दोष घर के मालिक, उनकी पत्नी और पहली संतान पर पड़ता है।
अगर घर की पश्चिम दिशा में किसी प्रकार का वास्तुदोष है तो इसका प्रभाव घर के पुरुषों पर पड़ता है।
अगर आपके घर का वायव्य कोण (पश्चिम-उत्तर) वास्तु दोष के प्रभाव में है तो इसका दुष्परिणाम घर की महिलाओं एवं तीसरी संतान पर पड़ता है।