उत्तराखंड में राजनीति के हाल कुछ ठीक नही चल रहे है। जहां एक ओर नेताओं के खरीद फरोख्त के मामले सामने आ रहे थे वही, अब खुद नेता दूसरी पार्टी में जगह पाने की होड़ में लगे है। ऐसे में कौन किसको राजनीति में सपोर्ट कर रहा है इसके बारे में कुछ नही कहा जा सकता है।
उत्तराखंड में कांग्रेस और भाजपा के नेताओं में पार्टी अदला बदली का प्रचलन चल रहा है। हाल में ही कांग्रेस के पूर्व नेता समेत अन्य विधायकों ने कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा का साथ लिया था। अब खबर है कि भाजपा कुछ विधायक पार्टी के रवैये से नाराज है और गुप चुप तरीके से कांग्रेस में शामिल होने के लिए कांग्रेस नेताओं के संपर्क में है। खबर है कि उधमसिंह नगर और हरिद्वार के विधायक कांग्रेस के नेताओं के संपर्क में हैै। बताया जा रहा है कि अगले विधानसभा चुनाव में टिकट पाने के लिए इन नेताओं ने कांग्रेस से संपर्क किया है। ऊधमसिंह नगर जिले के इन विधायकों के बारे में राजनीतिक क्षेत्र में यह चर्चा है कि इनको इस बार भाजपा के टिकट पर विधानसभा पहुंचने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इस स्थिति में वह पाला बदलने की सोच रहे हैं।
भाजपा में भी आजकल कलह की स्थिति दिख रही है। पार्टी का भार संभाल रहे नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट का रवैया पार्टी सदस्यों को भा नही रहा। पार्टी के कुछ सदस्यों ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि भट्ट भाजपा के कम ओर कांग्रेस के ज्यादा करीबी लगते है। वैसे इस बात में कुछ सच्चाई नजर भी आती है क्योकिं अजय भट्ट पर अकसर मुख्यमंत्री हरीश रावत के करीबी होने की बात की जाती है। सूत्रों की माने तो पार्टी में उनके पद पर बने ाहने पर प्रश्नचिन्ह भी लगा दिख रहा है। संभव है कि अजय भट्ट से नेता प्रतिपक्ष का तमगा छीन लिया जाए। ऐसे में पार्टी में अजय भट्ट का सपोर्ट करने वाले भी पार्टी से नाराज बताए जा रहे है।
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी अैेर भगत सिंह कोश्यारी भी आजकल पार्टी से नाराज चल रहे है। दोनो ही उत्तराखंड में भाजपा के दमदार चेहरे है। उनकी नाराजगी आने वाले चुनावों में बदलाव ला सकती है। ऐसे में पार्टी अगर कोई नेता अगर इधर उधर होता है तो पार्टी को खासा नुकसान होने के अनुमान लगाए जा रहे है। अब देखना दिलचस्प होगा कि कौन नेता अपनी पार्टी का साथ देता है और कौन टिकट की चाह में वर्तमान पार्टी को बॉय बॉय करता है।