केंद्र से मिली उत्तराखंड को बड़ी सौगात, इन प्रोजेक्टों पर जल्द शुरू होगा काम!

0
1621

केंद्र सरकार ने उत्तराखण्ड के लिए भारतमाला परियोजना के अंतर्गत 10 हजार करोड़ रूपये की लागत से 570 किलोमीटर लंबाई की कुल 05 सड़कें मंजूर की है। इन सभी सड़कों पर निर्माण कार्य अगले 06 माह में शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है। 05 प्रोजेक्ट में, 94 किलोमीटर 2000 करोड़ रूपये की लागत से बैजनाथ-थराली-कर्णप्रयाग मार्ग, 147 किलोमीटर 1200 करोड़ रूपये की लागत से अस्कोट-धारचूला-मालपा-लिपुलेख मार्ग, 216 किलोमीटर 4500 करोड़ रूपये की लागत से बैजनाथ-बागेश्वर-कपकोट-मुनस्यारी-सेराघाट-जौलजीवी मार्ग, 51 किलोमीटर 1000 करोड़ रूपये की लागत से माना-मूसा पानी- माणा पास तथा 63 किलोमीटर 1000 करोड़ रूपये की लागत से जोशीमठ-मलारी मार्ग सम्मिलित है।
यह जानकारी केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को एक स्थानीय होटल में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ राज्य की सड़क परियोजनाओं की संयुक्त समीक्षा बैठक के दौरान दी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए कि वह शीघ्र ही सभी जिला अधिकारियों के साथ बैठक कर भू-अधिग्रहण, मुआवजा वितरण और वन भूमि हस्तांतरण के बाकी बचे सभी मामलों पर समयबद्ध कार्यवाही करें।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि राज्य सरकार केंद्र सरकार की सभी परियोजनाओं को शीर्ष प्राथमिकता पर ले रही है और प्रत्येक स्तर पर जिम्मेदार लोगों की जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने बैठक में उपस्थित सभी अधिकारियों को निर्माण कार्यों की गुणवत्ता, समयबद्धता और आमजन की समस्याओं के प्रति संवेदनशील रहने की हिदायत दी। ऊर्जा विभाग को शीघ्र लाइनों और खम्भों को शिफ्ट करने के निर्देश दिए। बैठक में बताया गया कि चारधाम ऑल वेदर रोड के 900 किलोमीटर मार्ग के सापेक्ष 400 किलोमीटर मार्ग के कार्य अवार्ड कर दिए गए हैं।

गडकरी ने भू-अधिग्रहण, मुआवजा वितरण और वन भूमि मामलों में राज्य सरकार की तत्परता पर प्रशंसा की। केंद्रीय मंत्री गडकरी ने मार्च 2018 तक परियोजना के सारे प्रोजेक्ट के टेंडर करने का लक्ष्य निर्धारित करने के निर्देश दिए। बैठक के दौरान बड़ेथी और नालूपानी के लैंड स्लाइड क्षेत्रों पर भी काम तेजी से पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। बताया गया कि गंगा यमुना घाटी को जोड़ने वाली 1300 करोड़ रूपये की लागत से बनने वाली 4.5 किलोमीटर लम्बी सिल्क्यारा टनल पर भी शीघ्र काम शुरू किया जाएगा।

दिल्ली-देहरादून राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए लगभग 90 प्रतिशत कार्य हेतु जून 2018 और सभी कार्य पूरा करने हेतु दिसम्बर 2018 की डेडलाइन कार्यदायी संस्था और कांट्रेक्टर को दी गई। आलवेदर परियोजना में इको सेंसिटिव जोन के अंतर्गत आने वाले सभी प्रोजेक्ट्स को अनुश्रवण कमेटी की अनुपस्थिति में सीधे वन मंत्रालय को भेजा जाएगा। दिल्ली-शामली-सहारनपुर-देहरादून एक्सप्रेस हाईवे बनाया जाएगा और अगले 06 माह में इसका कार्य शुरू होने की संभावना है। केंद्रीय मंत्री श्री गडकरी ने कहा कि वर्ष 2019 तक उत्तराखण्ड में कुल 50 हजार करोड़ रूपये के सड़क कार्य दिए जाएंगे, जिसमें से बहुत से कार्य पूर्ण हो जाएंगे और बहुत से कार्य प्रारंभ किए जाएंगे। सड़क परिवहन के मामले में उत्तराखण्ड 2019 तक एक बदला हुआ राज्य नजर आएगा।

आल वेदर रोड के लिए काटे जा रहे पेड़ों पर टिप्पणी करते हुए गड़करी ने बताया की हर एक पेड़ के बदले 10 पेड़ लगाए जाएंगे। सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। बैठक में सभी परियोजनाओं के ठेकेदार कंपनियों को भी बुलाया गया था। केंद्रीय मंत्री गडकरी ने अधिकारियों के समक्ष सभी ठेकेदारों की समस्याएं भी सुनी और उन पर यथोचित कार्यवाही करने के निर्देश भी दिए। ऑल वेदर रोड परियोजना में बीआरओ द्वारा कार्यों में प्रदर्शित की जा रही शिथिलता पर नाराजगी व्यक्त करते हुए केंद्रीय मंत्री गडकरी ने उन्हें शीघ्र ही सभी कार्यों की डीपीआर बनाने के निर्देश दिए ।
बैठक में चारधाम ऑल वेदर रोड के सभी प्रोजेक्ट्स पर विस्तृत चर्चा की गई। इसके साथ ही टनकपुर-पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग-125 की प्रगति की समीक्षा भी की गई। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अंतर्गत काशीपुर-सितारगंज 4 लेन, सितारगंज- टनकपुर 2 लेन, रुद्रपुर-काठगोदाम 4 लेन, नगीना-काशीपुर 4 लेन, मुजफ्फरनगर-हरिद्वार 4 लेन, हरिद्वार-देहरादून 4 लेन, हरिद्वार- नगीना 4 लेन और एनएच-73 के रुड़की-छुटमलपुर तथा एनएच-72ए छुटमलपुर-गणेशपुर मार्ग की समीक्षा भी की गई। बैठक में केन्द्रीय राज्यमंत्री अजय टम्टा, सांसद हरिद्वार डाॅ.रमेश पोखरियाल ’निशंक’, राज्य मंत्री डाॅ.धन सिंह रावत, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह सहित अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित थे।

बैठक के बाद पत्रकारों से वार्ता करते हुए केंद्रीय मंत्री गडकरी ने बताया कि औली को दावोस की भांति अंतर्राष्ट्रीय डेस्टिनेशन बनाने के लिए काम शुरु किया गया है। इसके लिए विश्व स्तरीय कंसल्टेंसी एजेंसी की सेवा भी ली गई है। कंसल्टेंसी एजेंसी द्वारा उत्तराखण्ड और हिमाचल में ऐसे 100 स्थल चिन्ह्ति किए गए हैं, जहां पर रोपवे ,केबल कार और फरनकुलर रेलवे जैसे वैकल्पिक परिवहन साधनों का उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री के साथ बैठक कर इन सभी स्थानों पर विस्तृत चर्चा करेंगे और शीघ्र ही एक ठोस कार्ययोजना बनाई जाएगी। गडकरी ने यह भी कहा कि उत्तराखंड की बड़ी झीलों और नदियों के लिए सी-प्लेन पर भी विचार किया जा सकता है। यह परिवहन के एक वैकल्पिक साधन के साथ ही पर्यटकों के आकर्षण का एक प्रमुख जरिया भी बनेगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here