पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भले हर जनसभा में लालू प्रसाद यादव को अपना बड़ा भाई बताते हों, लेकिन कुर्सी तो कुर्सी है। एक सार्वजनिक कार्यक्रम में लालू को यह अहसास कराया गया कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कोई गलती से भी नहीं बैठ सकता।
प्रदेश की गठबंधन सरकार में लालू की पार्टी का योगदान ज्यादा है लेकिन पटना के एक सार्वजनिक कार्यक्रम में उन्हें बड़ी विनम्रता से नीतीश की कुर्सी को यह कहते हुए खाली करने के लिए कह दिया गया कि कुर्सी मुख्यमंत्री के लिए रिजर्व्ड है।
लालू ने बगैर किसी सवाल के कुर्सी खाली कर दी और मंच के वीआईपी लाइनअप में जा बैठे। जब नीतीश कुमार पधारे तो उन्हें उनकी कुर्सी तक लाया गया।
कुछ हफ्तों पहले लालू ने गुरु गोबिंद सिंह की 350वीं जयंती पर उस लाइन में न बैठाए जाने को लेकर आपत्ति जताई थी, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम नीतीश कुमार बैठे थे।