आज यानि 28 सितंबर को लता मंगेशकर का जन्मदिन है। मध्य प्रदेश के इंदौर में जन्मी लता मंगेशकर ने देश ही नहीं विदेश में भी करोड़ों लोगों के दिलों पर राज किया है शायद यह तो सभी जानते होंगे लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि कई दशक पहले एक वक्त ऐसा भी था जब मंगेशकर को जहर देकर उनकी जान लेने की कोशिश की गई थी।
बताते चलें कि लता मंगेशकर को जहर देने का यह मामला भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौर का है। लता मंगेशकर एक सुबह अचानक बीमार पड़ र्गइं, उनके पेट में दर्द हुआ और फिर हरे रंग की उल्टियां भी हुईं। स्वर कोकिला ने बताया कि ‘मैं उस वक्त बहुत बीमार हो गई थी और तीन महीने तक गा भी नहीं पाई थी।
जिंदगी का सबसे मुश्किल पड़ाव
ज्ञात हो कि पद्मा सचदेव की पुस्तक ‘ऐसा कहां से लाऊं’ में भी इस वाकये का जिक्र है। लताजी ने पुस्तक लेखिका को बताया था कि वे तीन दिन उनके लिए जिंदगी का सबसे तकलीफदेह वक्त था। दर्द बर्दाश्त से बाहर होता जा रहा था, कमजोरी इतनी हो गई थी कि वह हिल भी नहीं पा रही थीं। लेखिका के साथ अपने अनुभव को शेयर करते हुए लताजी ने बताया कि दर्द बढ़ता देखकर डॉक्टरों ने उन्हें बेहोशी का इंजेक्शन लगाया दिया था। तीन दिन तक जिंदगी और मौत के संघर्ष के बाद आखिरकार लताजी को एक तरह से नया जीवन मिला था।
डॉक्टरी जांच में खुलासा हुआ कि उनको धीमा जहर दिया जा रहा था। जहर देने का शक रसोइए पर ही जाकर टिक गया था, क्योंकि लताजी के बीमार पड़ने के बाद वह किसी को बिना बताए अचानक लापता हो गया। लेकिन बाद में खुलासा हुआ था कि रसोइया फिल्म इण्डस्ट्री में भी काम कर चुका था।
बहन ने ली रसोई की जिम्मेदारी
लता मंगेशकर को धीमा जहर देने के बाद उनके घर के इंतजाम पूरी तरह से बदल दिए गए। उनकी छोटी बहन उषा मंगेशकर ने घर की रसोई का काम अपने हाथों में ले लिया। बहन ही खाना बनाने लगी और लताजी के खानपान से जुड़ी हर बात पर उनकी पैनी नजर रहती थी।