26 नवंबर को विश्वविद्यालय के कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी पद से रिटायर हो रहे हैं, ऐसे में सूत्रों के हवानले से पता चला है कि वह फिलहाल अपने पद पर बने रहेंगे। दरअसल मंगलवार को कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी, जिसमें इस पूरे मामले में उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन को पूरी तरह जिम्मेदार ठहराया है। इसी के साथ कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने कुलपति को तत्काल हटाने की मांग की है।
शासन से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि, गोकर्ण ने अपनी रिपोर्ट मुख्य सचिव को भेज दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बीएचयू प्रशासन ने पीड़िता की शिकायत पर संवेदनशील तरीके से गौर नहीं किया और वक्त रहते इसका समाधान नहीं किया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर वक्त रहते इस मामले को सुलझा लिया गया होता, तो इतना बड़ा विवाद खड़ा नहीं होता।
वहीं कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने अपने बचाव में कहा कि कार्रवाई उन लोगों पर की गई, जो विश्वविद्यालय की संपत्ति को आग लगा रहे थे। साथ ही उन्होंने बताया कि छात्राओं पर हुए लाठीचार्ज और परिसर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम न होने की बात को झुठलाते कहा कि प्रधानमंत्री के दौरे को प्रभावित करने के लिए बाहरी तत्वों ने कैम्पस का माहौल बिगाड़ा।
त्रिपाठी ने बताया कि कुछ लोग कैम्पस में पेट्रोल बम फेंक रहे थे, पत्थरबाजी कर रहे थे। किसी भी छात्रा पर कोई कार्रवाई नहीं की गई, कार्रवाई का एक भी प्रमाण नहीं है। कुलपति ने कहा, 23 सितंबर की रात लगभग 8.30 बजे जब मैं छात्राओं से मिलने त्रिवेणी छात्रावास जा रहा था, तो उस वक्त अराजक तत्वों ने मुझे रोककर आगजनी और पत्थरबाजी शुरू कर दी।
कुलपति ने कहा कि पीड़ित छात्रा और उसकी सहेलियों के साथ उन्होंने दो बार मुलाकात की, छात्राओं ने उन्हें बताया था कि धरने का संचालन खतरनाक किस्म के अपरिचित लोग कर रहे हैं। उन लोगों ने पीड़ित छात्रा को धरना स्थल पर बंधक बनाकर जबरन बिठाए रखा था। पुलिस ने ऐसे तत्वों को कैम्पस से बाहर करने के लिए ही बल प्रयोग किया।