
करवाचौथ के चार दिन बाद यानि कि 21 अक्टूबर को अहोई अष्टमी त्योहार है। जिसके लिए बाजारों में मौजूद ज्वेलरी शॉप में चांदी, सोने और मोती के अहोई अष्टमी वाले लॉकेट्स की खरीददारी शुरू हो गई है। इसके अलावा अन्य आभूषणों की भी खरीदारी चल रही है।
अहोई अष्टमी पर बन रहा यह विशेष योग
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार अहोई अष्टमी पर स्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है, जो संतान के लिए बहुत शुभ रहेगा। इस योग में चंद्रमा-पुष्प नक्षत्र योग-साध्य सर्वार्थ सिद्धि योग शाम पांच बजकर 33 मिनट से अगले दिन छह बजकर 22 मिनट तक अहोई अष्टमी के दिन चंद्रमा पुष्प नक्षत्र में रहेगा।
कुछ ऐसी है मान्यता
कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को मां अपनी संतान के सुख और आयु वृद्धि के लिए रखती है। जिसे माताएं शाम को अहोई माता की पूजा करके तारों की छांव में तारे को देखकर खोलती है। ऐसी मान्यता है कि महिलाएं धागे में चांदी की अहोई पिरोकर उसकी पूजा करती हैं और अपनी संतान की आयु के अनुसार अहोई के दोनों ओर हर साल एक-एक मोती पिरोती हैं, जबकि माला छोटी रखने के लिए कुछ लोग एक साल में एक तरफ एक ही मोती पिरोते हैं। पूजा के बाद महिलाएं इस माला को पहनती हैं।



