
इंसान की जिंदगी कब बदल जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। महज एक साल पहले अपनी पत्नी की लाश को 10 किलोमीटर तक पैदल अपने कंधे पर ढोने के बाद अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में आनेवाले उड़ीसा के गरीब आदिवासी दाना मांझी की जिंदगी अब पूरी तरह बदल चुकी है। साल भर पहले गरीबी के कारण जिस सड़क पर अपनी पत्नी की लाश को खुद उठा कर चलना पड़ा था। आज उसी सड़क पर मांझी हॉन्डा की बाइक पर सफर कर रहे हैं।पहले घर उसके बाद पत्नी और अब नई बाइक। जी हां, पिछले साल पैसे ना होने के चलते अपनी पत्नी की लाश को 10 किलोमीटर तक पैदल अपने कंधे पर ढोने के बाद अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में आनेवाले ओडिशा के गरीब आदिवासी दाना मांझी की जिंदगी साल भर में अब पूरी तरह बदल चुकी है। अब उसकी गरीबी उससे काफी पीछे छूट चुकी है।
दाना मांझी की जिंदगी में यह बदलाव बहरीन के प्रधानमंत्री समेत दुनियाभर से मिल रहें वित्तीय मदद के कारण हुआ। वित्तीय मदद के बाद मांझी की गरीबी अब उससे काफी पीछे छूट गई है। मांझी को बहरीन के प्रधानमंत्री प्रिंस खलीफा बिन सलमान अल-खलीफा की तरफ से 9 लाख रुपये दिए गए। अन्य लोगों और संगठनों से भी मांझी को आर्थिक मदद मिली है। जिस मांझी के पास एक बैंक अकाउंट तक नहीं था, उसके पास आज काफी पैसे फिक्स्ड डिपॉजिट में रखे हैं जो पांच साल बाद मैच्योर होंगे।
पत्नी के शव को कंधे पर लेकर पैदल चलने की खबरों के बाद लोगों ने समाज के साथ-साथ प्रशासन और व्यवस्था पर भी अनदेखी का आरोप लगाया था। आज प्रशासन ने भी मांझी की तरफ मदद का हाथ बढ़ाया है। मांझी को प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत घर का आवंटन किया गया। इस वक्त घर का निर्माण चल रहा है और वे आंगनवाड़ी विलेज सेंटर में रह रहे हैं।
एक शिक्षण संस्थान की तरफ से मुफ्त पढ़ाई के ऑफर के बाद मांझी की तीनों बेटियां भुवनेश्वर के रिसिडेंशियल स्कूल में पढ़ रही हैं। इस दौरान मांझी ने दोबारा शादी कर ली। मांझी की नई पत्नी का नाम है अलामति देई और वह इस वक्त गर्भवती है।