इस तस्वीर को फेसबुक पर पोस्ट किया गया जिसके लिखा था, “अच्छा होता अगर ये बच्चा बाजार में इस तरह सोने के बजाय घर या स्कूल में सो रहा होता।” इसके फौरन बाद बड़ी संख्या में लोगों ने इस तस्वीर को शेयर करना शुरू कर दिया और सड़क पर बच्चे को सोता छोड़ देने के लिए उसकी मां की आलोचना करनी शुरू कर दी। साथ ही लोगों ने किर्गिस्तान की सरकार और राष्ट्रपति अल्मजबेक अंटबयेफ की भी खासी आलोचना की। एक फेसबुक यूजर ने लिखा, “देश के भेडिए। इन्हें दिखाई नहीं देता कि लोग देश में कैसे जी रहे हैं।”
कई लोगों ने लिखा, “ये राष्ट्रपति अल्मज़बेक अटंबायेफ की नाकामी है।” इस बारे में उस बच्चे की मां जुल्फिया यूसेनोवा से बात की गयी तो उन्होंने बताया, “जब मैं काम कर रही थी तो मेरे बेटे को नींद आ गई और वो सो गया। मुझे इस बात का पता ही नहीं चला। मैंने उसे सडक से उठाकर कार्डबोर्ड पर सुला दिया। वो बमुश्किल 10-15 मिनट ही सोया होगा। लेकिन मेरी बुराई होने लगी” जुल्फिया ने बताया कि उनका परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा है और उसके पति परिवार को सहारा देने रूस गए हैं। देश जबरदस्त आर्थिक तंगी से गुजर रहा है और करीब 15 लाख लोग यानी देश की आबादी का 20 फीसदी हिस्सा बेहतर रोजगार की तलाश में प्रवासी के तौर पर रूस में है। जुल्फिया के बेटे की कहानी वायरल होने के बाद अब लोग राष्ट्रपति से इस पर दखल देने की मांग कर रहे हैं।
जुल्फिया ने बताया, ” सरकार के एक मंत्री हमारे घर आए थे। वे खाने-पीने के डब्बे, रजाइयां, कपडे लाए थे। हम उनके इस कदम की सराहना करते हैं। इसके अलावा अब तक हमारी और कोई मदद नहीं की गयी है।
मैंने सुना है कि राष्ट्रपति ने मुझे घर देने का वादा दिया था। लेकिन इस दिशा में अब तक कुछ नहीं हुआ।” मदद की बातें और मीडिया में चर्चा के बावजूद जुल्फिया अपने बेटे की चर्चा सोशल मीडिया पर होने से शर्मिंदा हैं। वो कहती हैं, “मैं बेहद शर्मिंदा हूं। मैं गरीब हूं लेकिन अपने बच्चों की अच्छी तरह से देखभाल करती हूं। मैं आलसी नहीं हूं।”