देहरादून। दिल में चाह हो तो राह ज़रूर खुलती है। स्पेशल चाइल्ड द्वैपायन कुमार इसके प्रतीक बनकर उभर रहे है। ऑटिजम नाम की बीमारी से ग्रस्त होते हुए भी द्वैपायन कुमार ने आगे बढ़ने की मिसाल पेश की और गायन विधा में सफलता प्राप्त की। यह बहुत सुखद संयोग है कि द्वैपायन कुमार, वरिष्ठ नौकरशाह डाक्टर राकेश कुमार के बेटे है। ग़ज़ब बात यह है कि परिवार वालो ne मनोबल बढ़ाया तो बेटा गायन और तैराकी की दुनिया में दौड़ने लगा।
पिछले दिनों देहरादून। दिल में चाह हो तो राह ज़रूर खुलती है। स्पेशल चाइल्ड द्वैपायन कुमार इसके प्रतीक बनकर उभर रहे है। ऑटिजम नाम की बीमारी से ग्रस्त होते हुए भी द्वैपायन कुमार ने आगे बढ़ने की मिसाल पेश की और गायन विधा में सफलता प्राप्त की। यह बहुत सुखद संयोग है कि द्वैपायन कुमार, वरिष्ठ नौकरशाह डाक्टर राकेश कुमार के बेटे है। ग़ज़ब बात यह है कि परिवार वालो ने मनोबल बढ़ाया तो बेटा गायन और तैराकी की दुनिया में दौड़ने लगा।
पिछले दिनों नगर निगम सभागार में आयोजित इंटरनैशनल परफ़ोर्मिंग आर्ट फ़ेस्टिवल में द्वैपायन कुमार ने जब एक स्वरचित भजन और एक फ़िल्मी गीत सुनाया तो पूरा सभागार झूम उठा। यह भजन उन्होंने पूर्व मुख्य सचिव स्वर्गीय आरएस टोलिया को समर्पित किया।नगर निगम सभागार में आयोजित इंटरनैशनल परफ़ोर्मिंग आर्ट फ़ेस्टिवल में द्वैपायन कुमार ने जब एक स्वरचित भजन और एक फ़िल्मी गीत सुनाया तो पूरा सभागार झूम उठा। यह भजन उन्होंने पूर्व मुख्य सचिव स्वर्गीय आरएस टोलिया को समर्पित किया।