उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री का भगीरथ प्रयास, ऋषिपर्णा नदी को पुनर्जीवित करने का संकल्प

 रिपोर्ट-नीलम नौटियाल : यूं तो आज दुनिया में पानी बचाओं के लिए हर कोई किसी न किसी माध्यम से जनजागरण का काम कर रहा है। पानी बचाना हमारे भविष्य की चिंता भी है। उत्तराखण्ड में जिस प्रकार से तेजी से शहरीकरण हो रहा है, उससे हमारी पुरानी नदियां भी प्रभावित हुई है। इन्हीं मे से एक नदी रिस्पना नदी भी है, जो आज शहर के बीच मात्र एक गंदा नाला बन कर रह गई है। इस गंदे नाले को फिर से पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया है, उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने। यूं तो पिछली सरकारों ने भी रिस्पना नदी को लेकर काफी राजनीतिक बयानीबाजी की, लेकिन गंभीर प्रयास किसी ने शुरू नही किये। सोमवार को उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने एक ऐसा भगीरथ प्रयास की शुरूआत की है, जिसके सफल होने पर निश्चित रूप से ऋषिपर्णा नदी (रिस्पना) के पुनर्जीवित होने का श्रेय मुख्यमंत्री रावत को ही जायेगा। 
मुख्यमंत्री श्री रावत एक सरल एवं सादगीपूर्ण व्यक्तित्व वाले है। मुख्यमंत्री बनने के बाद वह जिस प्रकार से किसी भी योजना को बिना किसी हो हल्ले के मूर्तरूप देने का काम कर रहे है, वह उनकी सादगी को दर्शाता है। ऋषिपर्णा नदी को पुनर्जीवित करने का संकल्प मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने स्वयं लिया है, इसके लिए वे बधाई के पात्र है। मुख्यमंत्री ने अपने इस संकल्प को मूर्तरूप देने की शुरूआत राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर की है, जोकि सराहनीय है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत का कहना है यह अभियान बिना जसहयोग के पूरा नही होगा, इसके लिए उन्होंने सामाजिक संगठनों एवं आमजन से अपील की है कि इस मुहिम में बढ़चढ़कर सहयोग करें। मुख्यमंत्री ने दूरगामी कदम उठाते हुए इस अभियान की कमान ईको टास्क फोर्स के कमांडर कर्नल हरिराज सिंह राणा को सौंपी है। ईको टास्क फोर्स के साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता दर्शन भारती और जल पुरूष के नाम से विख्यात डॉ. राजेन्द्र सिंह के साथ सोमवार को मुख्यमंत्री श्री रावत ने इस अभियान की शुरूआत की।
आशा की जानी चाहिए कि मुख्यमंत्री का यह अभियान सफल हो। अगर मुख्यमंत्री अपने इस अभियान में सफल रहते है, तो वह देश-दुनिया में अन्य राज्यों के लिए भी एक मिशाल पेश कर सकते है। मुख्यमंत्री को यह भी ध्यान रखना होगा कि केवल सरकारी मशीनरी के भरोसे ऐसे भगीरथ अभियान को न छोड़ा जाय, बल्कि वे स्वयं इस अभियान की मॉनिटरिंग समय-समय पर करते है, अधिक से अधिक जनसहयोग को शामिल किया जाय। स्थानीय स्तर पर व्यापक जनजागरण जैसे कार्यक्रम किये जाय।

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