बड़ी खबर : प्रदेश में नए जिलों के गठन को लेकर भाजपा सरकार जल्द फैसला ले सकती हैं। नए जिलों के गठन को लेकर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने कहा कि भाजपा शासनकाल में जो जिले घोषित किए गए थे। उनको जल्द बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि अभी राज्य के आर्थिक स्थिति ठीक नहीं हैं। इसमें सुधार होते ही रानीखेत समेत चारों जिलों को अस्तित्व में लाया जाएगा।
उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद से ही नए जिलों के गठन की मांग शुरू हो गई थी लेकिन यह अंजाम के करीब पहुंची वर्ष 2011 में। तत्कालीन भाजपा सरकार के समय मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने स्वतंत्रता दिवस पर चार नए जिलों यमुनोत्री, कोटद्वार, रानीखेत और डीडीहाट के निर्माण की घोषणा की थी। कुछ ही दिनों बाद भाजपा सरकार में नेतृत्व परिवर्तन हुआ और भुवन चंद्र खंडूड़ी फिर मुख्यमंत्री बने। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन भाजपा सरकार ने नए जिलों के गठन का शासनादेश भी जारी कर दिया, लेकिन फिर कांग्रेस के सत्ता में आने पर मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
कांग्रेस सरकार ने तब आयुक्त गढ़वाल की अध्यक्षता में समिति बनाकर यह मसला उसके सुपुर्द कर दिया। इस समिति ने इसी वर्ष 29 फरवरी को चार नए जिलों के गठन की संस्तुति की। ये चारों जिले वही थे, जो पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय घोषित किए गए थे। हालांकि इसके बाद सरकार ने इन चार के अलावा रामनगर, काशीपुर, रुड़की और ऋषिकेश को भी नया जिला बनाने की तैयारी कर ली थी,मगर फिर गत मार्च में सियासी उठापटक के कारण संबंधित प्रस्ताव कैबिनेट में नहीं लाया जा सका।
हालांकि नए जिलों के गठन को लेकर राजनैतिक नफा-नुकसान के अलावा नए जिलों पर होने वाला भारी भरकम खर्च भी इसका एक बड़ा कारण माना गया। अब देखना ये होगा कि भाजपा की त्रिवेन्द्र सरकार कब चार नए जिले बनाने का शासनादेश जारी करती है, या फिर पहले की तरह इस बार भी नए जिलो के गठन का मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहेगा…