उत्तराखंड में संचालक शराब की दुकानों को चलाने का साहस नहीं जुटा पा रहे

शराब के ठेकों को एक माह का एक्सटेंशन मिलने के बाद भी संचालक शराब की दुकानों को चलाने का साहस नहीं जुटा पा रहे। इसकी वजह है हाईवे से दूर भीतरी क्षेत्रों में ठेकों को लेकर हो रहा विरोध।

आबकारी विभाग ने एक्सटेंशन अवधि में शराब की दुकान चलाने के लिए लाइसेंस फीस और अधिभार में निश्चित राजस्व बढ़ा दिया है। इस राजस्व को अदा करने के बाद भी संचालकों में यह डर है कि भीतरी क्षेत्रों में विरोध के चलते उनकी दुकानें खुल भी पाएंगी या नहीं। अगर दुकान खुल भी गई तो पूरे माह संचालन की गारंटी नहीं। ऐसे में शराब की दुकानों के संचालकों को घाटे का डर भी सता रहा है। क्योंकि, हाईवे वाली दुकानों को एक्सटेंशन वाली अवधि में दुकान चलाने के लिए कुल राजस्व की पांच फीसद धनराशि देनी होगी। हाईवे से अछूती शराब की दुकानों के लिए कुल राजस्व की 25 फीसद धनराशि तय की गई है, जो काफी अधिक मानी जा रही है।

जिला आबकारी अधिकारी पवन कुमार का कहना है कि हाईवे पर संचालित हो रही दुकानें एक अप्रैल से बंद हो जाएंगी, जबकि नई जगह दुकान शिफ्ट करने की तस्वीर अब तक साफ नहीं हो पाई है। क्योंकि, संबंधित दुकान संचालकों ने अभी कोई राजस्व जमा नहीं कराया है। वहीं, हाईवे से अछूती दुकानों में से बहुत कम का अतिरिक्त राजस्व मिला है। शनिवार को तस्वीर कुछ स्पष्ट हो पाएगी। तभी कहा जा सकता है कि कितनी दुकानें एक्सटेंशन अवधि में चलेंगी या बंद हो जाएंगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here