उत्तराखंड में ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट और व्यावसायिक भवनों का निर्माण तेज़ी से हो रहा है। सभी प्रोजेक्ट में नक्शा पास कराते वक्त बिल्डर व कंपनियां प्रोजेक्ट में सॉलिड वेस्ट का निस्तारण, ग्रीन बेल्ट और सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) जैसी सुविधाओं का दावा करते हैं, लेकिन अधिकाँश में ये सुविधाए कार्यकारी रूप में उपलब्ध नहीं हो पाती।
पर्यावरण पर असर न पड़े और लोगो को परेशानी का सामना न करना पड़े इसके लिए नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश के बाद उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) ने सभी संबंधित महकमों को निर्देश जारी कर दिए हैं। यह नियम सभी ग्रुप हाउसिंग, इंडस्टियल और कमर्शियल प्लाट पर लागू होगा। नए नियम के अनुसार अब व्यावसायिक गतिविधियों के लिए 10 हजार वर्ग मीटर से अधिक के प्लाट पर निर्माण के लिए नक्शा पास करवाने से पहले सीवरेज ट्रीटमेंट और म्युनिसिपल सॉलिड वेस्ट डिस्पोजल का प्लान देना अनिवार्य होगा।
संबंधित एजेंसियां संतुष्ट होने के बाद ही नक्शा पास करेंगी। इससे पहले भी कमर्शियल निर्माण का नक्शे में ये प्रावधान शामिल थे, मगर इनके संबंध में स्थिति स्पष्ट नहीं थी। जिसका फायदा बिल्डर और कंपनियां को मिल जाता था।