उत्तराखंड में बुलेट के शौकीनों के लिए एक बुरी खबर सामने आई है जिसको पढकर शायद कुछ युवाओ के शौकों पर पानी फिर सकता है। कुछ युवा बाइक एजेंसी से निकलवाते ही सबसे पहले उसका साइलेंसर निकलवा देते है ताकि हुडदंगबाजी कर सके और तेज पटाखों जैसी आवाज़ निकाल सके।
शहर में ध्वनि प्रदूषण परेशानी का सबब बनता जा रहा है। दिन भर भागदौड़ की जिंदगी में कुछ पल सुकून सभी चाहते हैं, लेकिन उस सुकून पर शहर में बढ़ता ध्वनि प्रदूषण भारी पड़ता जा रहा है। यह ध्वनि प्रदूषण उनके स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक सिद्ध हो रहा है वहीं शहर के कुछ लोग लोगों के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है। कुछ लोग ट्रैक्टरों व अन्य वाहनों पर तेज आवाज में म्यूजिक चलाते हैं। लोगों का कहना है कि ऐसे प्रैशर हार्न उनके स्वास्थ्य के लिए घातक सिद्ध हो रहे हैं। इसका असर सीधा दिमाग व कानों पर पड़ता है। ऐसे में प्रैशर हार्न वाले वाहन यातायात नियमों की धज्जियां उड़ाते नजर आते हैं और लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं।
छोटे वाहन चालक अपने वाहनों पर सवार होकर जाते हैं तो पीछे से बेलगाम दौड़ते आने वाले वाहनों के हार्न की इतनी तेज आवाज होती है कि छोटे वाहन चालक उनकी आवाज सुनकर संतुलन खो देते हैं जिससे कई बार दुर्घटनाएं हो चुकी हैं।
बुलेट बाइक से छूटते हैं पटाखे: शहर में बुलेट बाइक पर नियमों की धज्जियां उड़ाते युवा दिन-रात गलियों व मुख्य सड़कों पर घूमते नजर आते हैं। स्कूल व कॉलेज आदि की छुट्टी होते ही कॉलेज व स्कूलों के सामने बुलेट बाइक पर नियमों का उल्लंघन करते हुआ युवा नजर आ जाते हैं। इनसे छूटने वाले पटाखे लोगों के दिल व दिमाग पर बुरा प्रभाव डालते हैं।
सरकार बना रही है ये कानून : बुलेट से साइलैंसर निकालकर ध्वनि प्रदूषण करने और पटाखे जैसी आवाज निकालने वालों की बाइक जब्त की जाएगी। चालक को अगर अपनी बाइक छुड़वानी होगी तो जुर्माने के अलावा टोइंग फीस देने के अलावा मैकेनिक साथ लाकर बाइक का साइलैंसर बदलना होगा, जिसकी जांच के बाद ही उसे रिलीज किया जाएगा।
हालही में उत्तराखंड के पौड़ी जिले में ध्वनि प्रदूषण को कारण मानते हुए कई बुलेटो का चलान काटा जा चूका है और यह नियम पूरे उत्तराखंड में लागू हो चूका है. लोग बुलेट के शोर और पटाखों जैसी आवाजें सुन खासे परेशान थे, जिसकी कई शिकायतें पुलिस को मिल रही थीं, जिनमें बुजुर्गो और बच्चों ने भी नींद हराम होने की बात कही थी, इन शिकायतोंं को देखते हुए उत्तराखंड ट्रैफिक पुलिस ने यह सख्त कदम उठाया है।