देहरादून- उत्तराखंड में गुलदारों का आतंक बढ़ता जा रहा है। आए दिन लोग गुलदार के हमलों के शिकार बन रहे हैं। वन्यजीवों के हमलों को देखें तो गुलदारों ने पहाड़ से लेकर मैदान तक नींद उड़ाई हुई है। हाल के दिनों में कई बार इनके हमलों की घटनाएं सुर्खियां बनीं। स्थिति ये हो चली है कि गुलदार घरों के भीतर तक धमकने लगे हैं। गुलदार का अतिक्रमण गांवों में पालतू जानवारो की तरह हो गया है। सिमटते जंगली जमीन के बीच गुलदार की पहुंच गांव तक हो गई है। गुलदार के हमलों का शिकार सबसे ज्यादा मासूम बच्चे बन रहे हैं। इन सबसे इतर वन विभाग के लिए राहत भरी खबर यह है कि गुलदारों की संख्या में इजाफा भी हुआ है। उत्तराखंड वन विभाग जंगली जानवरों की गणना के लिए एक रणनीति भी तैयार कर रहा है।
कितनी है गुलदार और बाघों की संख्या
उत्तराखंड में गुलदारों की संख्या अब 2,500 से ज्यादा हो गई है, वहीं बाघों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। बाघों की संख्या बढ़कर 442 हो गई है। इन आकंड़ों के बाद वन विभाग राहत की सांस ले रहा है। 2008 के बाद ताजे आंकड़े राहत देने वाले हैं। वन विभाग के पीसीसीएफ जयराज सिंह के मुताबिक वन क्षेत्र में गुलदार की वास्तविक संख्या और घनत्व वाले क्षेत्रों का पता न चलने की वजह से गुलदारों को वन क्षेत्र तक सीमित करने की दिशा में सार्थक पहल नहीं हो पा रही है। गुलदार इंसानी आबादी वाले क्षेत्रों में दस्तक दे रहे हैं। पहले अविभाजित उत्तर प्रदेश के दौर में हर साल राज्य स्तर पर वन्यजीव गणना होती थी। उत्तराखंड बनने के बाद साल 2003, 2005 और 2008 में ही वन्य जीव गणना हुई है। हालांकि बाघ और हाथियों की गणना राष्ट्रीय स्तर पर 2015 तक होती आई है।



