उत्तराखंड : पहाड़ो से पलायन क्यों नहीं थम रहा, इस सवाल का जवाब दे रहा है ये गाँव!

आज सबके जुवान पर एक ही गंभीर मुद्दा बना हुआ है कि आखिर उत्तराखंड राज्य को बने 17 साल पूरे हो चूके हैं . पहाड़ो से पलायन का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। तो इसके पीछे जवाब हैं गांवों की पहुँच से बिजली, पानी, सड़क और अस्पताल जैसी मूलभूत सुविधाओं का दूर होना।

पहाड़ो के कितने ही गाँव आज भी अपनी मूलभूत सुबिधाओ से वंचित है. ऐसा ही एक गाँव है चमोली जिले के विकासखंड कर्णप्रयाग का सुदूरवर्ती गाँव बसक्वाली आज भी सड़क से वंचित है। बड़ी बात ये है कि आज भी यहाँ कोई बीमार पड़ता है या कोई हादसा होता है तो ग्रामवासी मरीज़ को चारपाई में बांधकर 2.5 किमी पैदल सड़क तक लाते हैं। इस गाँव से पलायन का मुख्य कारण भी सड़क ही है, जिसके चलते आधे से ज्यादा परिवार यहाँ से पलायन कर चुके हैं।

गांव में किसी की तबियत अचानक खराब हो जाए लेकिन आसपास कोई अस्पताल नहीं है। सड़क तक पहुँचने में ही ढाई घंटे की कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। युवक मंगल दल के अध्यक्ष धीरज भण्डारी की माने तो पैदल चलने वाले रास्तों की स्थिति भी दयनीय बनी हुई है। वह ग्राम पंचायत पर विगत 3 वर्षों से एक भी विकास कार्य ना करवाने का आरोप लगाते हुए जांच कराने की मांग करते आ रहे हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि जब इस सड़क को वित्तीय स्वीकृति भी मिल गयी है तो निर्माण कार्य शुरू क्यों नही कराया जा रहा। जिससे गाँव के सभी लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

उत्तराखंड में पलायन कितने चरम स्तर पर है इसका अंदाजा गिरी संस्थान की रिपोर्ट से लगाया जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार 17 साल में राज्य के 2.5 लाख से अधिक घरों में ताले लटक गए। वहीँ 17 सालों में 3000 गांव खाली हुए। यही नहीं राज्य की 1.05 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि हो चुकी है बंजर में तब्दील हो चुकी है। हर गांव से लगभग 30 परिवार पलायन कर रहे हैं।

 

 

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