चमोली – कौन कहता है आसमां में छेद नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो ये पंक्तियां उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में सीमांत तहसील जोशीमठ की उर्गम घाटी में विराजमान ग्राम पंचायत देवग्राम की कल्पना नेगी के ऊपर सटीक बैठती है। संघर्ष का नाम ही जिन्दगी है विपरीत परिस्थितियों में भी कल्पना नेगी ने हार नहीं मानी। देवग्राम के रविन्द्र नेगी एवं स्व माहेश्वरी देवी की सुपुत्री ने बेहद संघर्ष के बाद सफलता हासिल की। बचपन में ही माता का निधन हो गया। की.वी की बीमारी के कारण कल्पना के आंखों की ज्योति चली गयी।
दादा रामसिहं नेगी व चाचा अरविंद नेगी की परवरिश ने कल्पना को हिम्मत नहीं हारने दी ।
कल्पना के जीवन में कनार्टक निवासी प्रोफेसर तारामूर्ति आयी जिसके सहयोग से कल्पना की जिन्दगी बदल गयी। बाबा कल्पेश्वर की धरती पर तारामूर्ति तीन वर्षों तक रही और बाद में कल्पना को अपने साथ पढ़ाई के लिए कर्नाटक ले गयी। तारामूर्ति की देखरेख एवं संरक्षण में कल्पना ने कन्नड़ भाषा सीखी और पढ़ाई जारी रखी। प्रोफेसर तारामूर्ति का सहयोग और कल्पना नेगी की मेहनत रंग लाई और कल्पना नेगी ने हाईस्कूल की परिक्षा में 92 प्रतिशत अंक प्राप्त किये।
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने आज मन की बात कार्यक्रम में कल्पना नेगी के संघर्ष का जिक्र किया। मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के कल्पना के नाम का जिक्र से उनके दादा दादी चाचा चाची पिताजी एवं उर्गम घाटी के लोग को गर्व है कि उनकी बेटी ने उर्गम घाटी समेत उत्तराखंड का नाम रोशन किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम में हमारी ग्राम पंचायत देवग्राम की बेटी कल्पना नेगी के नाम के जिक्र से हम गर्व महसूस कर रहे हैं कल्पना की मेहनत रंग लायी जिसने हाईस्कूल में 92 प्रतिशत अंक हासिल किए भगवान कल्पेश्वर महादेव का आशीर्वाद हमेशा बना रहे।
वही कल्पना नेगी का कहना है कि इस सफलता के पीछे मेरे दादा दादी चाची-चाचा पिताजी एवं स्व माता का आशीर्वाद हमेशा साथ रहा प्रोफेसर तारामूर्ति जी मेरे जीवन में भगवान बनकर आती जिसके सानिध्य में मुझे आगे बढ़ने का मौका मिला और सफलता मिली इस सफलता के पीछे मेरे दादाजी राम सिंह नेगी का सहयोग व प्रोफेसर तारामूर्ति की तपस्या का फल है मैं आगे चलकर आई ए एस बनना चाहती हूँ।