रूद्रप्रयाग , कुलदीप राणा: उच्च हिमालयी क्षेत्रों से लगातार बर्फ पिघल रही है,
पर्यावरण विद् मान रहे ग्लोबल वार्मिंग कारण: भविष्य के लिए घातक.
पर्यावरण विद् मान रहे ग्लोबल वार्मिंग कारण: भविष्य के लिए घातक.
उत्तराखण्ड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में ग्लोबल वार्मिंग का असर साफ तौर पर देखा जा सकता है। रुद्रप्रयाग जनपद के केदारनाथ धाम और अन्य उच्च हिमालयी क्षेत्रों में तापमान बढ़ रहा है, जिस कारण यहां से बर्फ लगातार पिघलती जा रही है। 11 हजार फिट की ऊंचाई पर स्थिति केदारनाथ धाम की बात करें तो जहां वर्ष 2013 की आपदा से पूर्व जनवरी माह तक यहां 10 से 12 फीट तक बर्फ जमी रहती थी वहीं आपदा के बाद यहां चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों और लगातार मानवीय गतिविधियों के चलते सालदर साल बर्फ लगातार पिघलती जा रही है। केदारनाथ आपदा के बाद यहां बड़े पैमाने पर पुनर्निमाण कार्य चल रहे हैं शीतकाल में यहां सैकड़ों लोगों द्वारा कार्य किया जा रहा है जबकि भारी भरकम आधुनिक मशीनरी द्वारा भी यहां कार्य संपादित किए जा रहे हैं। ऐसे में ग्लोबल वार्मिंग का स्तर बढ़ता जा रहा है जिस कारण केदारनाथ धाम समेत आसपास के क्षेत्रों में बर्फ पिघलती जा रही है। पर्यावरण विद् जगत सिंह जंगली ने कहा कि दिसम्बर जनवरी में उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बर्फ का पिघलना भविष्य के लिए घातक हो सकता है। वहीं रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी का कहना है कि केदारनाथ धाम में बर्फ का पिघलने का कारण ग्लोबल वार्मिंग हो सकता है किंतु यह पर्यावरण से जुड़ा हुआ विषय हैं और इसकी अध्ययन करने की आवश्यकता है।