आसान नही था “अम्मू” से “अम्मा” बनने का सफर..

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नई दिल्लीः अम्मू से अम्मा बनने का जयललिता का सफर आसान नही था। बचपन यहीं नाम था उनका अम्मू। कई अड़चनों से बिना झुके लड़ने वाली जयललिता ने जहां भी अपनी प्रतिभा दिखायी, अपनी कुशलता का लोहा ही मनमाया।  जयललिता पर कई आरोप भी लगे, जेल भी गई पर अपने सर्मथकों के लिए वो उनकी मसीहा अम्मा ही रहेगी।
पिछले तीन दशकों से तमिलनाडु की राजनीति में महत्वपूर्ण सितारा रहकर अपनी शर्तों पर राजनीति करने वाली जयललिता तमाम अड़चनों और भ्रष्टाचार के मामलों से झटके के बावजूद वापसी करने में सफल रहीं थीं.   छठे और सातवें दशक में तमिल सिनेमा में अभिनय का जादू बिखेरनी वाली जयललिता अपने पथप्रदर्शक और सुपरस्टार एमजीआर की विरासत को संभालने के बाद 5 बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनीं. राजनीति में तमाम झंझावतों का सामना करते हुए उन्होंने अपनी बदौलत अपना मुकाम हासिल किया.

सफर आसान नही था….

  • 24 फरवरी 1948 में कर्नाटक में जन्मीं जयललिता तमिल फिल्मों की ऐक्ट्रेस रह चुकी हैं। जब वह स्कूल में थीं तभी उनकी मां ने उन्हें फिल्मों में काम करने के लिए राजी कर लिया। तब वह स्कूल में थीं, जब उन्होंने 1961 में ‘एपिसल’ नाम की एक अंग्रेजी फिल्म में काम किया। कहते हैं आर्थिक दिक्कतों के कारण उन्हें फिल्म की ओर रुख करना पड़ा था।

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  • तमिल सिनेमा में उन्होंने जाने माने निर्देशक श्रीधर की फिल्म ‘वेन्नीरादई’ से अपना करियर शुरू किया और लगभग 300 फिल्मों में काम किया।

 

  • फिल्मी करियर के बाद उन्होंने एम.जी. रामचंद्रन के साथ 1982 में राजनीतिक करियर की शुरुआत की। उन्होंने 1984 से 1989 के दौरान तमिलनाडु का राज्यसभा में प्रतिनिधित्व भी किया। वर्ष 1987 में रामचंद्रन का निधन के बाद उन्होंने खुद को रामचंद्रन की विरासत का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया।

 

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