यह स्थान महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थित मालवा क्षेत्र में है। बताते चलें कि यहां मुक्तागिरी नामक एक पवित्र तीर्थस्थल है जहां दिगंबर जैन मुनियों का सिद्ध क्षेत्र है। स्थानिय लोगो की मानें तो यहाँ हर सप्तमी और चौदश को चंदन और केसर की बारिश होती है।
यहां जैन धर्म के दिगंबर संप्रदाय के 52 मंदिर हैं जो अपनी अनोखी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां के मंदिरों में 600 सीढ़ियां चढ़ने-उतरने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
प्रचलित कथाओ के अनुसार लगभग 1000 साल पहले इस स्थान पर एक जैन मुनि ध्यान में लीन थे। अचानक उसी समय कहीं से उनके सामने एक मरा हुआ मेढ़क आकर गिरा। मुनि की आंख खुली और उन्होंने उस मेढ़क को उठाया।उन्होंने उस मरे हुए मेढ़क के कान में ‘नमोकार’ मंत्र पढ़ा जिससे उस मेढ़क को मोक्ष की प्राप्ति हुई और वह देव बन गया। इसी मेंढक के कारण मुक्तागिरी पर्वत को मेंढागिरी पर्वत के नाम से भी जाना जाने लगा। इस दिन को यहां निर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है।