आखिर क्यों हम दूसरों जिंदगी में ताकझांक करते है ?

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अरे सुनो, वो जो पड़ोस की वर्माजी की बेटी है न, वो रोज़ देर रात को घर लौटती है, पता नहीं ऐसा कौन-सा काम करती है?
गुप्ताजी की बीवी को देखा, कितना बन-ठन के रहती हैं, जबकि अभी-अभी उनके जीजाजी का देहांत हुआ है!
सुनीता को देख आज बॉस के साथ मीटिंग है, तो नए कपड़े और ओवर मेकअप करके आई है।
इस तरह की बातें हमारे आसपास भी होती हैं और ये रोज़ की ही बात है. कभी जाने-अनजाने, तो कभी जानबूझकर, तो कभी टाइमपास और फन के नाम पर हम अक्सर दूसरों के बारे में अपनी राय बनाते-बिगाड़ते हैं और उनकी ज़िंदगी में ताकझांक भी करते हैं. यह धीरे-धीरे हमारी आदत और फिर हमारा स्वभाव बनता जाता है. कहीं आप भी तो उन लोगों में से नहीं, जो इस तरह का शौक़ रखते हैं?

ये इंसानी स्वभाव का हिस्सा है कि हम जिज्ञासावश लोगों के बारे में जानना चाहते हैं। ये जिज्ञासा जब हद से ज्यादा बढ़ जाती है, तो वो बेवजह की ताकझांक में बदल जाती है।
अक्सर अपनी कमजोरियां छिपाने के लिए हम दूसरों में कमियां निकालने लगते हैं। यह एक तरह से खुद को भ्रमित करने जैसा होता है कि हम तो परफेक्ट हैं, हमारे बच्चे तो सबसे अनुशासित हैं, दूसरों में ही कमियां हैं।
कभी-कभी हमारे पास इतना खाली समय होता है कि उसे काटने के लिए यही चीज सबसे सही लगती है कि देखें आसपास क्या चल रहा है।
दूसरों के बारे में राय बनाना बहुत आसान लगता है, हम बिना सोचे-समझे उन्हें जज करने लगते हैं और फिर हमें यह काम मज़ेदार लगने लगता है।
इंसानी स्वभाव में ईष्र्या भी होती है। हम ईष्र्यावश भी ऐसा करते हैं। किसी की ज्यादा कामयाबी, काबिलीयत हमसे बर्दाश्त नहीं होती, तो हम उसकी ज़िंदगी में झांककर उसकी कमज़ोरियां ढूंढ़ने की कोशिश करने लगते हैं और अपनी राय बना लेते हैं।
इससे एक तरह की संतुष्टि मिलती है कि हम कामयाब नहीं हो पाए, क्योंकि हम उसकी तरह गलत रास्ते पर नहीं चले, हम उसकी तरह देर रात तक घर से बाहर नहीं रहते, हम उसकी तरह सीनियर को रिझाते नहीं आदि।
कहीं न कहीं हमारी हीनभावना भी हमें इस तरह का व्यवहार करने को मजूबर करती है। हम खुद को सामने वाले से बेहतर व श्रेष्ठ बताने के चक्कर में ऐसा करने लगते हैं।
हमारा पास्ट एक्सपीरियंस भी हमें यह सब सिखाता है। हम अपने परिवार में यही देखते आए होते हैं, कभी गॉसिप के नाम पर, कभी ताने देने के तौर पर, तो कभी सामनेवाले को नीचा दिखाने के लिए उसकी जिंदगी के राज या कोई भी ऐसी बात जानने की कोशिश करते हैं। यही सब हम भी सीखते हैं और आगे चलकर ऐसा ही व्यवहार करते हैं।

 

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