देहरादून; राजनीति में हमेशा से ही दलित वर्ग का केवल वोट बैंक के लिए ही उपयोग किया जाता रहा है जबकि सच्चाई यह है कि वोट बैंक के अलावा इनके उत्थान के लिए जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं हो रहे हैं। बात जब वोट की आती है तो सभी पार्टी के बडे़-बड़े नेता अल्पसंख्यक और दलित वर्ग को गले लगाने और उनके घर जाकर खाना खाने से भी नहीं चुकते और आज के दौर में तो मानों इसकी होड़- सी लग गई है, लेकिन क्या दलित को गले लगाना या उनके साथ बैठकर भोजन करने से उनकी बुनियादी समस्याओं को खत्म या कम किया जा सकता है एक बड़ा सवाल!
वैसे तो प्रत्येक पार्टी यह दावा करते नहीं चुकती कि हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में हैं भाई-भाई लेकिन वहीं समय-समय पर धर्म संबधी कोई भी मुद्दा सामने आता है तो पक्ष-विपक्ष में बहस करते नही थकते और घंटों टीवी चैनलों पर बैठ सुर्खिया बटोरने में लग जाते हैं।
फाइल फोटो
भाजपा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह देहरादून दो दिवसीय दौरे पर आए और उन्होंने एक दलित के घर भोजन कर यह दिखाने का प्रयास किया कि भाजपा दलितों के साथ है। इससे पहले भी कई बार खबरें सामने आती रही हैं कि चाहें भाजपा के अमित शाह हों या काग्रेंस के राहुल गांधी या अन्य पार्टी के अन्य दिग्गज नेता, इस दौर में सभी पार्टीयों में दलित प्रेम देखने को मिला है।
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